स्टूडेंट्स सुसाइड के मामले में कोटा को बदनाम किया गया: डॉ. अग्रवाल

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आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र पहले तो राजस्थान दसवें स्थान पर

कोटा। Student Suicide Cases: होप सोसाइटी के अध्यक्ष और सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉ. एमएल अग्रवाल ने कहा कि आत्महत्या पूरे विश्व में बड़ी समस्या है। यह दुनिया में सालाना करीब 8 लाख और देश में 1.70 लाख लोगों की मौत का कारण बनती है। कोटा में एक भी विद्यार्थी आत्महत्या कर लेता है तो राष्ट्रीय मीडिया में बड़ी खबर बन जाती है जबकि सच्चाई यह है कि यहां आत्महत्या राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है।

वे सोमवार को दक्ष-2 कैम्पस में वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे के अवसर पर आयोजित सेमिनार में संबोधत कर रहे थे। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि दुनिया में हर 40 सेकंड एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है और इससे 20 से 25 गुना ज्यादा आत्महत्या के प्रयास किए जाते हैं।

स्टूडेंट सुसाइड के मामले में कोचिंग सिटी कोटा को देश में सुनियोजित रूप से बदनाम किया गया। एक गैर लाभकारी संस्था-आईसी3 इंस्टीट्यूट के सर्वे के अनुसार स्टूडेंट्स की आत्महत्याओं के मामले में महाराष्ट्र 1764 छात्र यानी (देश की 14 फीसदी) आत्महत्या के साथ देश में नंबर वन है।

तमिलनाडु में 1416 (11 फीसदी ), मध्यप्रदेश 1314 (10 फीसदी), उत्तर प्रदेश 1060 ( 8 फीसदी) और झारखंड 824 ( 6 फीसदी ) के साथ पहले पांचवें स्थान पर हैं। इस सूची में राजस्थान 571 स्टूडेंट आत्महत्याओं के साथ दसवें नंबर पर है।

आत्महत्या दरअसल बीमारी है। आत्महत्या करने वाले 90 फीसदी व्यक्तियों में तनाव और मानसिक रोग के लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे में मानसिक उपचार से इसकी रोकथाम की जा सकती है।

सुसाइड केस में 75 से 80 फ़ीसदी मामलों में पीड़ित पहले से कोई संकेत जरूर देता देता है। पाया गया है कि ऐसे स्टूडेंट्स का पढ़ाई में मन नहीं लगता। क्लास से अनुपस्थित रहना, बातचीत नहीं करना, चिड़चिड़ा होना, खाने के प्रति अरुचि, बार-बार बीमार या पेट खराब होना, दर्द रहना, बहाने बनाना आदि शामिल हैं।

अपनी मनपसंद और सबसे प्रिय चीज भी दूसरों को दे देना, रस्सी या कोई रासायनिक केमिकल खरीद कर लाना जैसे लक्षण शामिल हैं। इस तरह के लक्षण आने पर बच्चों पर नजर रखना जरूरी है। अभिभावक, शिक्षक, हॉस्टल वार्डन आदि इन्हें पहचान जाएंगे, तो आत्महत्या से रोका जा सकता है।

इससे पहले डॉ. अविनाश बंसल ने बताया कि लंबे समय तक अवसाद में रहने से आत्महत्या के विचार आते हैं। सही समय पर पहचान और उपचार कर इस प्रवृति को दूर किया जा सकता है। अगर अवसाद के लक्षण तीन माह लगातार बने रहें तो मनोवैज्ञानिक से करें संपर्क करें। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मोशन के ज्वाइंट डायरेक्टर अमित वर्मा ने मनोचिकित्सकों का परिचय दिया। डिप्टी डायरेक्टर डॉ. आशीष माहेश्वरी, जितेंद्र चांदवानी, आशीष बाजपेयी और ललित विजय ने स्वागत किया।