ईथॉस के स्पाइन एवं फिजियोथेरेपी विभाग का कारगर प्रयास
कोटा। वृद्धावस्था में चलना कठिन हो जाता है। ऐसे में यदि किसी रोग विशेष आपको पकड़ ले तो आप अपनी उम्मीद भी छोड देते हैं। परन्तु कोटा की 84 वर्षीय शांता बाई (परिवर्तित नाम) ने हौसला नहीं छोड़ा और ईथॉस हॉस्पिटल के स्पाइन एवं फिजियोथेरेपी विभाग ने उनकी हिम्मत को जागृत रखते हुए असंभव से प्रतीत होते स्पाइन सर्जरी को संभव बनाया।
निदेशक डॉ. केके कटियाल ने बताया कि 84 वर्षीय शांता बाई जब अस्पताल पहुंची तो गत एक माह से लकवाग्रस्त थी। उनके दोनों पैर हरकत नहीं करते थे। गिरने से उनकी रीढ की हड्डी में फ्रैक्चर था और रीढ़ की हड्डी के छालों में दबाव होने के कारण पैरों ने काम करना बंद कर दिया था। कई अस्पतालों से असंतुष्ट लौटने के बाद भी शांति देवी ने अपना हौसला नहीं खोया और ईथॉस अस्पताल के डॉ. गौरव मेहता से मिली। मेहता ने उन्हे परीक्षण के उपरान्त सर्जरी की सलाह दी।
डॉ. गौरव मेहता ने बताया कि वृद्धावस्था में खून की कमी, प्लूरल इफ्यूजन डीप वेन थ्रोंबोसिस एवं दोनों पैरों में लकवा जैसी समस्याओं के कारण सर्जरी चुनौतीपूर्ण थी। डॉक्टर गौरव मेहता ने विशेष आधुनिक तकनीक से डीकंप्रेशन को सीमेंटेड स्क्रू की सहायता से सर्जरी की।
इसके उपरांत ईथॉस हॉस्पिटल के फिजियोथेरेपी डॉक्टर गर्वित विजय और गरिमा संभवानी ने पेशेंट की फिजियोथैरेपी प्रारंभ की। तीन श्रेणियों में 25 से 30 दिन तक फिजियोथैरेपी सेशन से मरीज में काफी सुधार हुआ। अब शांता बाई अपने पैरों पर खडी हो चुकी है और अपने घर लौट गई है। डॉ. केके कटियाल ने बताया कि सम्पूर्ण इलाज आरजीएचएस के तहत निशुल्क हुआ है।