सरसों के सरकारी एवं व्यापारिक उत्पादन अनुमान में 17 लाख टन का भारी अंतर

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नई दिल्ली। Mustard: यद्यपि बिजाई क्षेत्र में आई गिरावट को देखते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय एवं उद्योग- व्यापार संगठनों ने सरसों की घरेलू पैदावार घटने की संभावना व्यक्त की है लेकिन दोनों के उत्पादन अनुमान में करीब 17 लाख टन का भारी अंतर देखा जा रहा है।

उद्योग- व्यापार संगठनों ने 2024-25 के वर्तमान रबी सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर 111.30 लाख टन सरसों के उत्पादन की संभावना व्यक्त की है जबकि कृषि मंत्रालय ने 128.70 लाख टन के उत्पादन का अनुमान लगाया है।

2023-24 सीजन के लिए मंत्रालय ने 132.60 लाख टन तथा संगठनों ने 115 लाख टन सरसों का उत्पादन आंका था। सरसों के उत्पादन में करीब 4 लाख टन की गिरावट आने की संभावना व्यक्त की गई है क्योंकि इसकी बिजाई कम क्षेत्रफल में हुई लेकिन फसल की औसत उपज दर कुछ बेहतर रही।

मौसम की हालत अधिकांश प्रमुख उत्पादक इलाकों में फसल के लिए काफी हद तक अनुकूल बनी हुई है। इससे सरसों के दाने की क्वालिटी में भी सुधार आया है और उसमें तेल का ऊंचा अंश देखा जा रहा है। उद्योग-व्यापार संगठनों ने 8930 लाख हेक्टेयर में बिजाई एवं 1245 किलो प्रति हेक्टेयर की संभावित उपज दर के आधार पर 111.30 लाख टन के उत्पादन का अनुमान लगाया है।

जबकि कृषि मंत्रालय ने इतने ही क्षेत्रफल में 128.70 लाख टन के उत्पादन की संभावना व्यक्त की है जिसका मतलब यह हुआ कि सरकार ने सरसों की औसत उपज दर का ऊंचा अनुमान लगाया है।

उद्योग-व्यापार संगठनों के मुताबिक 2024-25 के मौजूदा रबी सीजन के दौरान राजस्थान में 51 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 15 लाख टन, मध्य प्रदेश में 13.50 लाख टन, हरियाणा में 12.50 लाख टन (पंजाब सहित), पश्चिम बंगाल में 6 लाख टन, गुजरात में 4.80 लाख टन तथा देश के अन्य राज्यों में 8.50 लाख टन सरसों के उत्पादन का अनुमान है।

उल्लेखनीय है कि सरसों की उत्पादकता दर परम्परागत रूप से गुजरात में सबसे ऊंची रहती है। वहां इस बार भी उपज दर 1825 किलो प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान लगाया है। जबकि पंजाब- हरियाणा में 1600 किलो प्रति हेक्टेयर, राजस्थान में 1500 किलो, उत्तर प्रदेश में 1100 किलो, मध्य प्रदेश में 1040 किलो, पश्चिम बंगाल में 9500 किलो, आसाम में 950 किलो तथा देश के अन्य राज्यों में 700 किलो प्रति हेक्टेयर रहने की संभावना है।