नई दिल्ली। संसद का 15 दिसंबर से शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र काफी हंगामेदार रह सकता है। विपक्ष की ओर से सरकार को गुजरात चुनाव की पृष्ठभूमि में सत्र में विलम्ब करने से जुड़े विषय, जीएसटी, नोटबंदी, राफेल डील, किसानों से जुड़े विषय समेत कई समसामयिक मुद्दों पर घेरने का प्रयास किया जा सकता है।
गुजरात चुनाव परिणाम का भी सत्र पर प्रभाव देखा जा सकता है। संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि संसद चर्चा का सर्वोच्च स्थान है और सरकार नियमों के तहत किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार है।
मोदी सरकार गरीब हितैषी सरकार है। विपक्ष को अपनी बात रखनी चाहिए और नियमों के तहत चर्चा करनी चाहिए।मेघवाल ने कहा कि राजनीतिक दलों से अपील है कि वे महत्वपूर्ण विधेयकों पर उपयोगी और रचनात्मक बहस में सहयोग करें और संसद के दोनो सदनों की कार्यवाही सुचारु रूप से चलना सुनिश्चित करें।
इससे पहले संसद सत्र में विलंब को लेकर विपक्ष की तीखी आलोचना झेल रही सरकार ने शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से बुलाने की घोषणा की थी जो 5 जनवरी तक चलेगा। सत्र के दौरान 3 विधेयक लाए जाने का प्रस्ताव किया गया है जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (मुआवजा) अध्यादेश, 2017 के स्थान पर विधेयक लाने का प्रस्ताव है।
यह अध्यादेश 2 सितंबर 2017 को जारी किया गया था। इसके अलावा ऋण शोधन और दिवाला संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2017 के स्थान पर भी विधेयक लाने का प्रस्ताव है। सरकार ने भारतीय वन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 के स्थान पर भी विधेयक लाने का प्रस्ताव किया है।
सरकार का तीन तलाक पर लगी रोक को कानूनी जामा पहनाने के लिए भी विधेयक पेश करने, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने वाले संविधान संशोधन विधेयक फिर लाने का इरादा है। सत्र के दौरान नागरिकता संशोधन विधेयक 2016, मोटरवाहन संशोधन विधेयक 2016, ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिकार संरक्षण विधेयक को पारित कराने पर भी जोर दिया जा सकता है।
संसद के शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने की उम्मीद है, क्योंकि कांग्रेस समेत विपक्षी दल कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार को निशाने पर लेती नजर आ सकती है।
संभावना है कि इस सत्र में वस्तु एवं सेवा कर (GST) और नोटबंदी को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर होगी। कांग्रेस शुरुआत से ही जीएसटी एवं नोटबंदी को लागू करने के फैसले को जल्दबाजी में लिया गया कदम बताती आई है।
गुजरात में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बताते रहे है। राहुल नोटबंदी को लेकर भी मोदी सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं।
ऐसे में शीतकालीन सत्र में एनडीए सरकार को कांग्रेस का विरोध झेलना पड़ सकता है। शीतकालीन सत्र का समय आगे बढ़ाने के निर्णय पर भी विपक्ष सरकार को घेर सकता है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति, जीडीपी वृद्धि दर एवं अन्य आर्थिक मुद्दों पर भी विपक्ष सरकार पर निशाना साध सकता है। संसद सत्र के दौरान ही 18 दिसंबर को गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम आने हैं। गुजरात के मोदी के गृह प्रदेश होने के कारण चुनाव परिणाम का भी सत्र पर असर देखा जा सकता है।
शीतकालीन सत्र में कुल 14 बैठकें होंगी और यह 22 दिन तक चलेगा। संसद सत्र देरी से बुलाने की विपक्ष की आलोचना पर सरकार का कहना है कि यह पहला अवसर नहीं है जब विधानसभा चुनावों के चलते संसद के सत्र को आगे बढ़ाया गया हो। यह पद्धति अतीत में विभिन्न सरकारों द्वारा अनेक अवसरों पर अपनाई जाती रही है।