कोच्चि। उत्तरी अमरीका महाद्वीप के मध्यवर्ती भाग में अवस्थित इलायची के सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश- ग्वाटेमाला में अब अल नीनो के प्रकोप एवं प्रभाव से उत्पन्न सूखे के गंभीर संकट की वजह से फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है जिससे वहां इलायची का उत्पादन काफी घटने की संभावना है।
इधर भारत में भी फसल की हालत बहुत खराब है। इन दोनों शीर्ष उत्पादक एवं निर्यातक देशों में उत्पादन काफी घटने की आशंका से छोटी (हरी) इलायची का वैश्विक बाजार भाव आगामी महीनों में काफी ऊंचा एवं तेज रहने के आसार हैं।
उत्पादकों के अनुसार चालू वर्ष के दौरान जनवरी से मई के बीच इलायची के प्रमुख उत्पादक इलाकों में 122 दिनों तक बारिश नहीं होने से सूखे का गंभीर संकट बना रहा। जून में थोड़ी-बहुत वर्षा हुई जबकि जुलाई में आंधी-तूफान के कारण फसल क्षतिग्रस्त हो गई।
अगस्त में भी तेज हवा के साथ हुई वर्षा से फसल को नुकसान हुआ और इसकी तुड़ाई-तैयारी का समय भी एक माह आगे खसक गया।पिछले साल करीब 28-30 हजार टन इलायची का शानदार उत्पादन हुआ था जबकि चालू सीजन में उत्पादन लगभग 50 प्रतिशत घटकर 14-16 हजार टन के बीच सिमट जाने की संभावना है।
उत्पादन घटने की संभावना से इलायची का नीलामी मूल्य तेज होता जा रहा है। अब त्यौहारी सीजन के कारण दिसावरी व्यापारी भी इसकी खरीद में अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे हैं जबकि नीलामी केन्द्रों में माल की आवक कम हो रही है।
नई इलायची की आवक चालू माह के अंत तक शुरू होने की संभावना है जबकि मध्य सितम्बर में यह जोर पकड़ सकती है। उत्पादकों के पास पिछला स्टॉक कम है। फिलहाल निर्यात बाजार में भी कोई खास सक्रियता नहीं देखी जा रही है जबकि आमतौर पर जुलाई से ही वहां चहल-पाहल बढ़ जाती है।
ग्वाटेमाला की कमजोर फसल को देखते हुए विदेशी आयातकों की नजर इस बार भारतीय इलायची पर टिकी हुई है लेकिन अभी प्रीमियम ग्रेड (7-8 एमएम या 8 एमएम) में उसकी मांग कुछ कमजोर देखी जा रही है।