संसार एक्सेप्टमेंट से चलता है, आरग्यूमेंट से नहीं: आदित्य सागर महाराज

0
10

कोटा। चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन समाज समिति की ओर से आयोजित चातुर्मास पर जैन मंदिर रिद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में आदित्य सागर मुनिराज ने अपने नीति प्रवचन में जीवन प्रबंधन पर बोलते हुए कहा कि मनुष्य को जीवन में बहस के स्थान पर स्वीकारना आना चाहिए। मनुष्य जैसा चाहता है हमेशा वैसा नहीं होता है।

दौर बदलते हैं, समय परिवर्तनशील है। हर चीज आपके अनुकूल नहीं हो सकती है। हम लोग छोटी- 2 बातों पर बहस कर जीवन में क्लेश लाते हैं। संसार एक्सेप्टमेंट से चलता है, आरग्यूमेंट से नहीं।

उन्होंने कहा कि हमें प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए। जब हम जीवन में संयम, सावधानी व समझौते को अपनाएंगे तो प्रतिक्रिया अपने आप कम होगी। जहां जरूरत नहीं हो, वहां मौन रहें, जब जरूरी हो तभी प्रतिक्रिया व्यक्त करें। ज्यादा बोलने वालों की पूछ कम होती है।

जब भी प्रतिक्रिया दें तो अपनी प्रतिक्रिया को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करें, यही आध्यात्मिक प्रबंधन है। मनुष्य को प्रतिक्रिया देकर अपनी प्रतिष्ठा को कम नहीं करना चाहिए। समझौता करना जीवन में कसाय को कम करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। उन्होंने कहा कि कम खाना, गम खाना और नम जाना परन्तु विवाद को कोर्ट कचेरी मत ले जाना। गुरूदेव ने कहा कि मनुष्य खुद की ग​लती में वकील व दूसरों की गलती में जज बनता है। इसलिए जीवन में प्रतिक्रिया से बचे। जहां शांति मिले, उसे हर कीमत पर स्वीकार करें।

इस अवसर पर रिद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, पारस कासलीवाल सहित कई शहरो के श्रावक उपस्थित रहे।