Turmeric: हल्दी की कीमतों में अब और मंदी की धारणा नहीं, जानिए क्यों

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नई दिल्ली। Turmeric Price: चालू सप्ताह के दौरान हल्दी की कीमतों में नरमी रही। मगर सूत्रों का मानना है कि कीमतों में अधिक मंदा संभव नहीं है क्योंकि उत्पादक केन्द्रों पर हल्दी का स्टॉक पर्याप्त नहीं है।

उल्लेखनीय है क चालू सीजन के दौरान देश में हल्दी का उत्पादन गत वर्ष की तुलना में कम रहा था और इस वर्ष उत्पादन केवल 45/50 लाख बोरी तक ही सिमट गया है। कमजोर पैदावार के कारण इस वर्ष हल्दी के भाव गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक चल रहे हैं। जिस कारण से उत्पादक राज्यों में इस वर्ष बिजाई का क्षेत्रफल बढ़ा है।

चालू सीजन के दौरान उत्पादकों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलने के कारण इस वर्ष सभी उत्पादक राज्यों में हल्दी की बिजाई गत वर्ष की तुलना में अधिक हुई है। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में बिजाई का क्षेत्रफल 30/35 प्रतिशत अधिक होने के समाचार मिल रहे हैं।

इरोड लाइन पर बिजाई दोगुना होने के समाचार मिल रहे हैं। इसके अलावा तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश में भी बिजाई 30/35 प्रतिशत अधिक होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार गत वर्ष देश में हल्दी की बिजाई 3/3.25 लाख हेक्टेयर की गयी थी जोकि इस वर्ष 4 लाख हेक्टेयर से अधिक होने के समाचार हैं।

वर्तमान में उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर हल्दी के भाव गत वर्ष की तुलना में अधिक चल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष इरोड मंडी में गट्ठा का भाव 120/125 रुपए एवं निज़ामाबाद में गट्ठा 100/105 रुपए प्रति किलो बोला जा रहा था। जोकि वर्तमान में इरोड में भाव 146/148 एवं निज़ामाबाद में 145/150 रुपए चल रहा है।

महाराष्ट्र की मंडियों में गत वर्ष इसी समयअवधि में गट्ठा का भाव 120/130 रुपए बोला जा रहा था जोकि वर्तमान में 145/150 रुपए बोला जा रहा है। अन्य मंडियों में भी वर्तमान में हल्दी के भाव गत वर्ष की तुलना में 20/30 रुपए प्रति किलो तक ऊंचे बोले जा रहे थे।

धारणा मंदे की नहीं: व्यापारियों का मानना है कि हल्दी की वर्तमान कीमतों में मंदे की सम्भावना नहीं है क्योंकि उत्पादक केन्द्रों पर खपत की तुलना में स्टॉक कम माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष उत्पादक केन्द्रों पर बिजाई कम रहने के अलावा मौसम की फसल के प्रतिकूल बना रहा। जिस कारण से देश में हल्दी की पैदावार 45/50 लाख बोरी (एक बोरी 60 किलो) के आसपास रही लेकिन बकाया स्टॉक नई फसल की आवक के समय 35/38 लाख बोरी का था और कुल उपलब्धता 80/85 लाख बोरी की रही। लेकिन इस वर्ष नई फसल पर बकाया स्टॉक लगभग समाप्त हो जाएगा और आने वाली फसल 70/75 लाख बोरी आने के पश्चात भी आगामी सीजन में हल्दी की उपलब्धता कम रही थी। सूत्रों का कहना है अगर आगामी दिनों में मौसम फसल के अनुकूल रहता है तो पैदावार 70/75 लाख बोरी की आएगी। अगर मौसा खराब होता है तो पैदावार घट सकती है। वर्ष 2023 में देश में हल्दी की पैदावार 80/85 लाख बोरी एवं 2022 में पैदावार 75/80 लाख बोरी की रही थी।

स्टॉक: जानकर व्यापारियों का कहना है कि वर्तमान में उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर हल्दी का स्टॉक 32/35 लाख बोरी होने के समाचार हैं। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में सांगली में स्टॉक 5 लाख बोरी, निज़ामाबाद में 4/4.5 लाख बोरी, दुग्गीराला एवं कडप्पा में 4/5 लाख बोरी के अलावा वारंगल में 1.5/1.75 लाख बोरी होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। इरोड एवं सेलम में स्टॉक 4 लाख बोरी माना जा रहा है जबकि मराठवाडा में स्टॉक 11/12 लाख बोरी होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं।

निर्यात घटा: चालू सीजन के दौरान हल्दी की कीमतें ऊंची होने के कारण हल्दी निर्यात में गिरावट दर्ज की गयी है। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आकड़ों के अनुसार वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान हल्दी का निर्यात 1,62,019 टन का किया गया जबकि वर्ष 2022-23 में निर्यात 1,70,094 टन का रहा था। चालू वर्ष 2024-25 के प्रथम दो माह अप्रैल-मई में भी निर्यात कम हुआ है। अप्रैल 2024 में निर्यात 14,109 टन हुआ है जबकि गत वर्ष अप्रैल 2023 में निर्यात 19,590.87 टन का किया गया था। मई 2023 में हल्दी का निर्यात 19,827.86 टन किया गया था जबकि मई 2024 में निर्यात 17,415 टन का हुआ है। जनवरी-मई 2023 के दौरान कुल निर्यात 85,528.23 टन हुआ था जोकि जनवरी-मई 2024 में घटकर 72,371.43 टन का रह गया।