कभी हारे नहीं ओम बिरला अब राजस्थान के नए पावर सेंटर, जानिए इसके मायने

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कोटा। Birla New Power Centre of Rajasthan: कभी हारे नहीं सांसद ओम बिरला राजस्थान में नए पावर सेंटर के रूप में उभरे है। मोदी 3.0 में ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष चुने गए। बिरला का लगातार दूसरी बार इस पद पर आना राजस्थान के बदलते राजनीतिक समीकरण की तरफ भी इशारा कर रहा है।

राजनीतिक विश्लेषक बिरला के उभार के सियासी मायने निकाल रहे है। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान ने ओम बिरला पर फिर भरोसा जताया है। ओम बिरला को पर्दे के पीछे रहकर संगठन के लिए काम करने वाला नेता माना जाता है।

उन्होंने साल 1991 से 2003 तक बीजेपी की युवा शाखा के लिए काम किया और इस दौरान बीजेपी के आम कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेताओं के संपर्क में आए। 2019 में सबको चौंकाते हुए लोकसभा अध्यक्ष के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया गया।

सियासी जानकारों का कहना है कि मोदी और अमित शाह राजस्थान को ओम बिरला के हवाले कर सकते है। दूसरी तरफ वसुंधरा को नजरअंदाज करने का दौर चल रहा है तो क्या वसुंधरा राजे के पास चलने को लिए अब कोई नया दांव बचा है? वसुंधरा राजे को पहले सीएम फेस घोषित नहीं किया। इसके बाद उनके बेटे दुष्यंत सिंह क मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। बड़ा सवाल यहीं है कि मोदी और अमित शाह वसुंधरा राजे को हाशिए पर भेजकर क्या संदेश देना चाहते हैं?

तो क्या वसुंधरा राजे चलेंगी कोई दांव?
वसुंधरा राजे ने हाल ही में उदयपुर में आयोजित सम्मेलन में कहा कि अब वह वफा का दौर नहीं रहा है। आज तो लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पकड़ कर वह चलना सीखते हैं। साफ जाहिर है कि वसुंधरा राजे अपनी अनदेखी से नाराज है।

यह उनका अपने नेताओं के लिए संदेश या फिर शीर्ष नेताओं से मिले संकेत का असर हो सकता है। सवाल भी यही है कि वसुंधरा का क्या होगा? वसुंधरा सबकुछ सम्मानजनक तरीके से चाहती हैं और अगर ऐसा न हुआ तो क्या होगा? वसुंधरा राजे ठसक और मिजाज वाली नेता हैं।

भाजपा की संस्थापकों में रही राजमाता विजया राजे सिंधिया की बेटी हैं। जानकारों के मुताबिक वसुंधरा राजे सार्वजनिक मंच पर भी किसी के सामने बहुत झुकने का संकेत नहीं देतीं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे को लेकर चल रही चर्चाएं किस मुकाम तक पहुंचती हैं, देखने वाली बात होगी।

सियासी जानकारों के मुताबिक विधानसभा चुनाव में सीएम फेस घोषित नहीं करने के बावजूद भी वसुंधरा राजे कुछ महीने से लगातार दिल्ली के दौरे कर रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह से मिलने के बाद भी कोई खास फायदा नहीं हुआ। वहीं पार्टी उन्हें लेकर कई तरह के इशारे भी करती है।

ओम बिरला साल 2003 अब तक कोई भी चुनाव हारे नहीं हैं। साल 2003 में उन्होंने कोटा से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 2008 में उन्होंने कोटा दक्षिण सीट से कांग्रेस नेता शांति धारीवाल को शिकस्त दी थी।

साल 2013 में उन्होंने तीसरी बार कोटा दक्षिण सीट से चुनाव जीता था, हालांकि लोकसभा चुनाव उन्होंने पहली बार साल 2014 में लड़ा और विजयी भी हुए। तब से लेकर अब तक यानी कि 2019 और 2024 में उन्होंने जीत का ही स्वाद चखा।