मुंबई। आयकर विभाग दिसंबर तिमाही का अग्रिम कर भरे जाने से पहले सभी क्षेत्रों की शीर्ष 100 कंपनियों की आमदनी में वृद्धि और अग्रिम कर भुगतान की विसंगति पर नजर रख रहा है।
सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग ने कम से कम 30 ऐसी कंपनियों की पहचान की है, जिन्होंने दावा किया है कि आलोच्य तिमाही के दौरान उनकी वृद्धि शून्य रही।
इन कंपनियों ने इसके लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण पैदा हुईं अनिश्चितताओं जैसे वृहद आर्थिक कारकों का हवाला दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर आगामी तिमाहियों में वृद्धि फिर लौटती है तो वे कर और ब्याज का भुगतान करेंगी।
हालांकि आयकर विभाग को संदेह है कि कंपनियां अपनी अग्रिम कर देनदारी कम दिखाने के लिए विवरण दबा रही हैं, इसलिए विभाग कंपनियों के पिछले तीन साल के प्रत्येक तिमाही के राजस्व, लाभ एïवं हानि खातों और परिचालन लाभ की पड़ताल कर उनके दावों का सत्यापन कर रहा है।
विभाग ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि जून और सितंबर तिमाहियों में कंपनियों और व्यक्तिगत आयकरदाताओं के अग्रिम कर भुगतान में मामूली वृद्धि रही थी, जबकि विभाग ने उन्हें अंतिम तिथि तक भुगतान करने के लिए खूब प्रोत्साहित किया था।
करदाताओं से उम्मीद की जाती है कि वे अपनी अनुमानित कर देनदारी का अग्रिम भुगतान 15 जून तक 15 फीसदी, 15 सितंबर तक 45 फीसदी, 15 दिसंबर तक 75 फीसदी और शेष 15 मार्च तक कर देंगे।
हालांकि आयकर विभाग ने पिछली दो तिमाहियों में देखा है कि अग्रिम कर के कम भुगतान या टालने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
माना जा रहा है कि कर संग्रहण से नाखुश केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अपने अधिकारियों से कहा है कि वे बड़ी कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजों पर कड़ी नजर रखें।
सूत्रों के मुताबिक विभाग कंपनियों को 1 दिसंबर से पत्र भेजने शुरू करेगा और कम भुगतान या इसे टालने की वजह पूछेगा। एक अन्य कर अधिकारी ने कहा कि वर्ष की शुरुआती तिमाहियों में स्व-आकलन की बढ़ती तादाद से करदाताओं के इरादे पर संदेह पैदा होता है।