निर्यात ऑफर मूल्य निश्चित नहीं होने से गैर बासमती चावल का शिपमेंट धीमा

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नई दिल्ली। गैर बासमती चावल का शिपमेंट अत्यन्त धीमी गति से हो रहा है। चालू वर्ष के आरंभ में सरकारी अनुबंधों के तहत खाद्यान्न का निर्यात करने के लिए सरकार ने नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लि० (एमसीईएल) का गठन किया था और उसे खाद्यान्न की खरीद से लेकर इसके शिपमेंट तक का दायित्व सौंपा गया था लेकिन समझा जाता है कि चावल का निर्यात ऑफर मूल्य निश्चित नहीं होने से शिपमेंट में समस्या उत्पन्न हो रही है। 

7 दिसंबर को भी सरकार ने पांच देशों के लिए कुल 2.40 लाख टन सफेद गैर बासमती चावल का निर्यात कोटा निर्धारित किया जिसमें केन्या को 1.00 लाख टन, मिस्र को 60 हजार टन, मेडागास्कर को 50 हजार टन, कोमोरोस को 20 हजार टन तथा विषुवतीय गिनी को 10 हजार टन की मात्रा शामिल है।

इससे पूर्व सरकार करीब एक दर्जन से अधिक देशों के लिए 20 लाख टन से ज्यादा चावल का निर्यात कोटा निर्धारित कर चुकी है जिसमें सफेद गैर बासमती चावल के साथ-साथ टुकड़ी चावल (ब्रोकन राइस) की मात्रा भी शामिल है। लेकिन इसमें से अब तक 10 हजार टन का भी निर्यात संभव नहीं हो सका है।

केवल मारीशस, नेपाल एवं भूटान को थोड़ी बहुत मात्रा में चावल भेजा गया है। खरीफ कालीन चावल की सरकारी खरीद हो रही है लेकिन इसकी मात्रा नियत लक्ष्य से कम रहने की संभावना है। घरेलू प्रभाग में चावल का भाव एक निश्चित सीमा में थोड़े- बहुत उतार-चढ़ाव के साथ लगभग स्थिर बना हुआ है। कच्चे चावल के व्यापारिक निर्यात पर रोक लगी हुई है।