कांग्रेस ने आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की तैयारी की है। क्योंकि प्रधानमंत्री ने ही पिछले चुनाव में ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने का वायदा किया था। लेकिन चुनाव संपन्न हो जाने के बाद यह वायदा महज जुमला ही साबित हुआ। और ऎसी जुमलेबाजी के लिए अकसर वे आलोचनाओं के पात्र बनते रहे हैं। वैसे कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे की उपस्थिति में सोमवार को बारां में होने वाली बड़ी सभा में भी यह मसला पुरजोर तरीके से उठने की संभावना है।
–कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। EERCP political issue: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) से ग्रामीण इलाकों की लगभग 40 प्रतिशत आबादी का सीधा जुड़ाव होने के कारण कांग्रेस ने इस मसले का अगले विधानसभा चुनाव में भरपूर लाभ लेने की अपनी पूर्व निर्धारित रणनीति के तहत रविवार से ग्रामीण मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक देना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खडगे सोमवार को कोटा संभाग के बारां में आयोजित एक जनसभा के जरिए अपने चुनावी अभियान का आगाज करने वाले हैं। वे यहां एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे और निश्चित रूप से इसमें भी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का मसला पुरजोश के साथ उठने की उम्मीद है क्योंकि इस परियोजना से लाभान्वित होने वाले पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में बारां भी शामिल है।
ईआरसीपी पिछले पांच सालों में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए प्रतिष्ठा का मसला रहा है, जिन्होंने राज्य के पूर्वी हिस्से के 13 जिलों के लाखों किसान की दृष्टि से महत्वकांक्षी इस परियोजना को केंद्र सरकार से राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने के लिए संभव कोशिश की हैं। केंद्र और राज्य स्तर पर विभिन्न मंचों से मुख्यमंत्री इस मसले को पुरजोर तरीके से न केवल उठाते रहे हैं।
बल्कि वायदा करके भी मुकर जाने के बावजूद वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मुख इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने में आनाकानी के लिए अपनी आपत्तियां दर्ज करवा चुके हैं। यहां तक कि केंद्र सरकार की लगातार आनाकानी के उपरांत भी पिछले पांच सालों में वित्त मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने राज्य विधानसभा में पेश किए गए बजट में इस नहर परियोजना के लिए वित्तीय प्रावधान किया है।
पिछले बजट में भी श्री गहलोत ने इसके लिए बजट प्रावधान रखा था। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) का खाका उस समय तैयार हुआ था, जब पिछली बार श्रीमती वसुंधरा राजे प्रदेश की मुख्यमंत्री थी और उन्होंने ही इस योजना का अनुमोदन किया था। लेकिन इस योजना को बढ़ाने की दृष्टि से मुख्य काम मौजूदा राज्य सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ।
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले योजना बनी थी लेकिन इसकी क्रियान्विति शुरू होने से पहले ही प्रदेश में सत्ता की भागीदारी बदल गई और भारतीय जनता पार्टी की जगह कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में आ गई। लेकिन परियोजना के महत्व को देखते हुए मुख्यमंत्री ने राजनीतिक कारणों से इसको टालने की जगह किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए इसे आगे बढ़ाया।
इतना ही नहीं उन्होंने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार से इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की, जिसका वायदा पिछले विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री खुद अजमेर और जयपुर के ग्रामीण इलाकों में आयोजित बड़ी जनसभाओं को संबोधित करते हुए यह कहकर करके गए थे कि विधानसभा चुनाव के बाद इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दे दिया जाएगा।
लेकिन चुनाव में हार के बाद यह वायदा एक जुमला बनकर रह गया और अभी तक इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की बात तो दूर है, प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि प्रदेश से निर्वाचित भाजपा के सांसद तक भी इस मसले पर गंभीरता से बातचीत करने तक के लिए तैयार नहीं है।
प्रदेश सरकार का तर्क यह है कि इस परियोजना की लागत 40 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक की है और इसका खर्च वहन करना अकेले राज्य सरकार के बस में नहीं है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देकर राज्य को जरूरी वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाने चाहिए, ताकि लाखों किसानों को इस योजना के जरिए सिंचाई और पीने का पानी को पहुंचा कर लाभान्वित किया जा सके।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से पहले ही कांग्रेस इस बात के स्पष्ट संकेत दे चुकी थी, कि इन चुनाव में पूर्वी राजस्थान के मतदाताओं खासतौर से ग्रामीण इलाकों के लोगों के बीच पार्टी का मुख्य मुद्दा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने के मामले में केंद्र सरकार खासतौर से उसके मुखिया नरेंद्र मोदी की नकारात्मक भूमिका का मसला होगा ,जिसकी वजह से 13 जिलों के लाखों किसान परिवार सिंचाई और पीने के पानी की सुविधा से वंचित हो रहे हैं।
अपनी इसी रणनीति के तहत कांग्रेस ने रविवार से कोटा संभाग में मंडल स्तर पर नहर परियोजना के मसले पर रैलियां और सभाओं के कार्यक्रमों का आयोजन किया था। मंडल स्तर पर आयोजित ऐसे ही एक कार्यक्रम में सांगोद कांग्रेस मंडल की अध्यक्ष श्रीमती पूजा सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस नहर परियोजना के मसले पर दुर्भावनापूर्वक रवैया अपना रहे हैं और वे महज इसलिए ही किसानों के हितों को दरकिनार करके इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने से कतरा रहे हैं।
क्योंकि ऐसा करने स्थिति में इसका पूरा श्रेय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मिलेगा। लेकिन प्रधानमंत्री होने के नाते श्री मोदी को राजनीतिक दुराग्रह के बिना और उससे उपर उठकर लाखों किसान परिवारों की सिंचाई और पेयजल संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखकर पूर्वाग्रहों को त्याग कर सोचना चाहिए।
इस परियोजना को केंद्र से राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाना चाहिए, ताकि इसका सफलतापूर्वक क्रियान्वयन हो सके और न केवल किसानों के खेत सरसब्ज हो, बल्कि उनके कंठ की प्यास भी बुझ सके। यह जनहित का मसला है, राजनीतिक लाभ-हानि का नहीं।