मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वित्त मंत्री के रूप में अपने अंतिम बजट में कई लोकलुभावन घोषणाओं करने के बाद भी विधानसभा चुनाव की तिथि तय होने से पहले तक नित-नई कई घोषणाएं करके मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को सांसत में डाले रखा ,जो हर पांच साल बाद सत्ता के समीकरण बदलने की तीन दशक पुरानी रवायत के जारी रहने की आस के साथ सत्ता हस्तगत करने की बड़ी उम्मीद लगाए बैठी है।
-कृष्ण बलदेव हाडा-
Rajasthan Vidhan Sabha Election:राजस्थान विधानसभा के अगले चुनाव में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच मुख्य कशमकश हर पांच साल में होने वाले इन चुनावों के नतीजों की रीत बदलने-बरकरार रखने को लेकर होगी।
इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूरी ताकत पिछले तीन दशकों से चली आ रही इस रीत को बदलने की तैयारी में है जबकि मुख्य विपक्ष दल चाहेगा कि यह रीत इस बार भी पूर्ववत बरकरार रहे ताकि उन्हें सत्ता हस्तगत करने का मौका मिल सके।
वैसे पिछले करीब तीन दशकों से ऐसा होता भी रहा है कि एक बार भारतीय जनता पार्टी की तो दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बनती रही है लेकिन इस बार कांग्रेस खासतौर से प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सारी कोशिश इस परिपाटी को पूरी तरह से बदलने की है।
यही एक बड़ी वजह है कि इस चुनावी साल में मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने वित्त मंत्री के रूप में पेश अपने पांचवें बजट में एक ओर जहां कई जन कल्याणकारी घोषणाएं कर प्रदेश की जनता को लुभाने की भरसक कोशिश की है।
वहीं विधानसभा के बजट सत्र के अवसान के बाद भी मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने नित-नई घोषणाएं करने का सिलसिला इस विधानसभा के चुनाव की तिथि तय होने के साथ आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने तक जारी रखा और इसमें सबसे अहम घोषणा राजस्थान में नए जिले बनाने की रही जिनकी मांग प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लगातार पिछले कई दशकों से उठते आ रही थी।
पूर्ववर्ती सरकारें इस मांग की उपेक्षा करती रही थी लेकिन इस बार मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने अपने इस कार्यकाल के अंतिम खण्ड में दो चरणों में 22 नए जिले बनाने की घोषणा कर समूचे राजस्थान का नक्शा ही बदल डाला।
वैसे राजस्थान में पिछले करीब तीस सालों के चुनावों में एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की सरकार बनती आई हैं और अभी कांग्रेस के सत्तारुढ़ होने से यह कयास लगाये जा रहे हैं कि इस रिवाज के हिसाब से भाजपा की सरकार आ सकती है। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी पार्टी के अन्य कई नेताओं का दावा है कि इस बार वे इस रिवाज को बदल देंगे।
श्री गहलोत का कहना है कि प्रदेश सरकार ने पहल करते हुए स्वास्थ्य बीमा योजना, पुरानी पेंशन योजना, स्वास्थ्य का अधिकार सहित ऐसी कई जनहित की योजनाएं लागू की गई है जो देश भर में उदाहरण एवं चर्चा का विषय बनी और इससे प्रदेश के सभी क्षेत्रों एवं वर्गाें का अभूतपूर्व विकास हुआ है और इससे राज्य आगे बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई के मद्देनजर इससे लोगों को राहत पहुंचाने के लिए पहली बार महंगाई शिविरों से 1.82 करोड़ परिवार लाभान्वित हुए हैं। सात करोड़ से अधिक गारन्टी कार्ड इन शिविरों के माध्यम बांटे जा चुके हैं। इतना ही नहीं राजस्थान को देश में अग्रणी राज्य बनाने के उद्देश्य से विजन 2030 लाया गया और इसका डॉक्यूमेंट जारी किया गया है।
इसमें प्रदेश के तीन करोड़ से अधिक लोगों ने अपने सुझाव दिए है। इस प्रकार सरकार ने इस बार प्रदेश के हित में कदम उठाने में कोई कमी नहीं रखी है और उन्हें उम्मीद है कि जनता का उन्हें फिर आशीर्वाद मिलेगा और कांग्रेस की सरकार रिपीट होगी।
इसी तरह पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता सचिन पायलट एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश के कई मंत्री एवं कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता भी सरकार के काम की बदौलत इस बार कांग्रेस की सरकार रिपीट होने के दावे कर रहे है।
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी की कोशिश यह है कि पिछले तीन दशकों से हर पांच साल बाद सरकार बदलने की रवायत को बदला नहीं जा सके और इस बार भी प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के तहत कांग्रेस की जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने।
इस रवायत को बरकरार रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित प्रदेश के कुछ नेता लगातार जोरदार कोशिश कर रहे हैं लेकिन पिछले बीते पांच सालों में प्रदेश में नेतृत्वहीन सी स्थिति में रही भारतीय जनता पार्टी चुनाव की घोषणा हो जाने के बावजूद अभी तक भी बिखरी-बिखरी सी नजर आ रही है।