कोटा का ऐतिहासिक दशहरा मेला नजदीक पर तैयारी दूर

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रावण के पुतले का प्रतीकात्मक फोटो।
कोटा के दशहरा मेले को नगर निगम की ओर से राष्ट्रीय स्तर का मेला कह कर प्रचारित किया जाता है। यहां तक कि कई बार इसकी तुलना कुल्लू-मनाली के दशहरा मेलों तक से कर दी जाती है, लेकिन यहां तो इस स्थिति यह है कि मेला के आयोजन में मात्र 10 दिन का समय बचा है जबकि अभी मेले के सफल आयोजन की तैयारियां तक औपचारिक रूप से शुरू नहीं हो पाई है।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Historic Dussehra Fair of Kota: हर वर्ष राष्ट्रीय मेले के रूप में प्रचारित किए जाने वाले कोटा के ऐतिहासिक दशहरा मेला का आयोजन शुरू होने में अब करीब 10 दिन का ही समय बचा है, लेकिन स्थिति यह है कि कोटा के दोनों नगर निगमों के आपसी रार और राजनीतिक-प्रशासनिक इच्छा शक्तियों के अभाव में कोटा के दशहरा मेले की तैयारियों को अंतिम रूप देना तो दूर की बात है, मेले की प्रारम्भिक तैयारियां भी शुरू नहीं हो पाई है।

इस मेले के आयोजन की तैयारियों सहित कई आयोजनों, दुकानों के लिए जगह के आवंटन के बारे में फ़ैसला करने के लिए गुरूवार को कोटा नगर निगम (उत्तर) की महापौर और मेला समिति अध्यक्ष मंजू मेहरा ने एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में अपरिहार्य कारण बताते हुए इस बैठक को ही स्थगित कर दिया गया। बीते सालों में कोटा दशहरे मेले के सफल आयोजन पर उसी समय सवालिया निशान खड़ा हो गया था, जब कोटा में राज्य सरकार के आदेश के तहत दो नगर निगम कोटा उत्तर और कोटा दक्षिण का गठन किया गया।

उसके बाद आयोजित होने वाले पहले ही दशहरा मेले की कमान कोटा नगर निगम (उत्तर) को सौंपी गई। तब से ही इस मेले के आयोजन को लेकर दोनों नगर निगमों के बीच खींचतान का जो दौर शुरू हुआ था, वह अब अपने चरम पर है। क्योंकि 10 अक्टूबर को दशहरा मेले के औपचारिक रूप से उद्घाटन की तारीख तय होने के कारण आयोजन में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं।

लेकिन अभी तक मेले के दौरान क्या कार्यक्रम आयोजित होंगे और इस दौरान आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रस्तुति के लिए किन कलाकारों को बुलाया जाएगा। इस पर अभी तक प्रारंभिक रूप से चर्चा तक नहीं हो पाई है। यहां तक कि मेले में श्रीराम रंगमंच सहित पांच जगहों पर आयोजित होने वाली रामलीला के बारे में भी कोई फैसला नहीं हो पाया है।

कोटा के कथित राष्ट्रीय स्तर के दशहरा मेला में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान सिने संध्या, सिंधी कार्यक्रम, हिंदी-पंजाबी, गज़ल गायन के कार्यक्रमों सहित अखिल भारतीय स्तर का कवि सम्मेलन और मुशायरा अलग-अलग दिन आयोजित होते हैं, जिनके साक्षी बनने के लिए हजारों की संख्या में लोग दशहरा मेला प्रांगण में पहुंचते हैं। ऐसे लोगों में कोटा के बाहर से हाडोती भर के विभिन्न क्षेत्रों के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।

आलम यह है कि इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अभी तक तिथियां तक तय नही हो पाई है। इसलिए यह तो अभी कहना मुश्किल है कि इन कार्यक्रमों की प्रस्तुति कौन कलाकार देंगे या किन राष्ट्रीय स्तर के कवियों, शायरों को कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में आमंत्रित किया जाएगा। जबकि यह सर्वविदित है कि आने वाले दिनों में देश भर में विभिन्न स्थानों पर दशहरे के मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, कवि सम्मेलन एवं मुशायरे आयोजित होते हैं, जिनकी तैयारी पहले से ही शुरू की जाकर अतिथियों को निमन्त्रित कर बुक करने का सिलसिला शुरू हो जाता है।

कोटा के दशहरा मेले के आयोजन के लिए बनाई गई महापौर मंजू मेहरा की अध्यक्षता वाली मेला समिति की गुरुवार को होने वाली महत्वपूर्ण बैठक जिसमें मेले के शुरुआती दौर की महत्वपूर्ण कड़ी श्रीराम रंगमंच सहित पांच स्थानों पर रामलीला एवं रामकथा के आयोजन सहित सांस्कृतिक कार्यक्रमों, मेले में दुकानें सहित अन्य मनोरंजन के कार्यक्रमों के आयोजन के लिए जगहों का आवंटन जैसे मसलों पर विचार किया जाना था।

लेकिन गुरुवार की बैठक के स्थगित हो जाने के कारण कोई भी निर्णय नहीं हो पाया है। स्थिति यह है कि कोटा दशहरा मेले का मुख्य आकर्षण विजयादशमी के दिन रावण दहन का होता है लेकिन अभी इसके बारे में भी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।