अब राजस्थान में कांग्रेस-भाजपा की शक्ति प्रदर्शन की तैयारी

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file photo
राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले हालांकि दलगत वर्चस्व की लड़ाई दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में है लेकिन सतही तौर पर यह सत्ता संघर्ष जितना भाजपा में उभरकर सामने आया है, वह वर्तमान में कांग्रेस में नजर नहीं आता। परिवर्तन संकल्प यात्रा के दौरान भाजपा नेताओं की आपसी कलह राज्य भर में जगजाहिर हो रही है।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
Struggle for power: राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और मुख्य प्रतिपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी की ओर से अपने-अपने शक्ति प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है।

कांग्रेस की ओर से जहां शनिवार को जयपुर के मानसरोवर में एक बड़ी आम सभा के आयोजन की तैयारी है, जिसमें पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और वर्तमान अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे सहित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा सहित प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित अन्य नेताओं के संबोधित करने की उम्मीद है।

जबकि दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पूरी ताकत 25 सितम्बर को जयपुर में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा को विराट स्वरूप देने में ताकत झोंक रखी है और और इस जनसभा में पांच लाख लोगों के एकत्रित करने का लक्ष्य रखकर भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में अपने विराट अस्तित्व को प्रकट करने की पूरी तैयारी कर रही है। हालांकि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जुटाने की संभावनाओं को लेकर संशय प्रकट किए जा रहे हैं।

कांग्रेस की शनिवार को जयपुर में होने वाली आम सभा से पहले पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे,राहुल गांधी कांग्रेस के नये प्रदेश मुख्यालय का उद्घाटन करेंगे और उसके बाद मानसरोवर हाउसिंग बोर्ड मैदान में जनसभा को संबोधित करेंगे। इस जनसभा से पहले कांग्रेस पार्टी में ‘पुरानी परिपाटी’ के तहत फूट सामने आ रही है क्योंकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व में उप मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट के समर्थकों ने यह आरोप लगाया है कि राहुल गांधी और मलिकार्जुन खड़गे के स्वागत के लिए जयपुर में लगाए गए हजारों पोस्टरों में से अनेक में सचिन पायलट का चेहरा नदारद है।

हालांकि पार्टी की ओर से इस आरोप को खारिज किया गया है और यह कहा गया है कि पार्टी की ओर से जारी किए गए अधिकारिक पोस्टरों में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे, उनके सबसे बड़े स्टार प्रचारक राहुल गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को आधिकारिक तौर पर पार्टी के पोस्टरों में प्राथमिकता दी गई है लेकिन जानबूझकर किसी अन्य की उपेक्षा का आरोप गलत है।

उधर विपक्ष में रहने के बावजूद मुख्य प्रतिपक्ष एक दल भारतीय जनता पार्टी में भी आपसी कलह जगजाहिर है। प्रदेश में परिवर्तन संकल्प यात्रा निकाली जा रही है जिनमें पूरे प्रदेश भर में जगह-जगह से पार्टी के नेताओं की आपसी फूट के मामले सामने आ रहे हैं। कई स्थानों पर पार्टी के टिकट के दावेदार परिवर्तन संकल्प यात्रा को सफल बनाने की जगह अपनी ताकत को दिखाने की जोर-आज़माइश करते ज्यादा नजर आ रहे हैं।

कोटा में भी लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र में टिकट के दावेदार एक पूर्व विधायक ने बिना किसी अनुमति के अपने स्तर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के स्वागत में पंडाल सजा लिया, लेकिन ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं था तो मुख्यमंत्री जब पांड़ाल में नहीं गए तो पूर्व विधायक के समर्थकों ने नारेबाजी कर यात्रा में व्यवधान डाल दिया। वैसे बताते है कि इन पूर्व विधायक का नाम दावेदारों की सूची में शामिल है ही नहीं।आपसी फूट की ऐसी घटनाएं प्रदेश भर में जगह-जगह हो रही है।

पार्टी की सर्वाधिक लोकप्रिय नेता और पूर्व में दो बार की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे भी इस परिवर्तन संकल्प यात्रा से दूरी बनाए रखे हुए है। हालांकि जब पहली बार सवाई माधोपुर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर से परिवर्तन संकल्प यात्रा की शुरुआत हुई थी तो उस समय मौजूद वे मौजूद थी।

बाद में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में रवाना की गई दूसरी परिवर्तन संकल्प यात्रा में भी उपस्थित थी। लेकिन बीते करीब एक पखवाड़े से श्रीमती वसुंधरा राजे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक मंचों से पूरी तरह से नदारद हैं और वजह यह बताई जा रही है कि वे दिल्ली में पारिवारिक कारणों से व्यस्त हैं।

हालांकि श्रीमती वसुंधरा राजे की देश के अन्य भाजपा नेताओं जैसे केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़, वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. किरोड़ी लाल मीणा सहित अन्य नेताओं से मतभेद जगजाहिर है। लगभग ये सभी नेता अगले विधानसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने की स्थिति में अपने आप को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किए हुए हैं तो टकराव तो सुनिश्चित है ही।