मुख्यमंत्री का संकट, खान की झोपड़िया के दौरे का मिला न्योता

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कोटा यात्रा के दौरान खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले की शामिल करने और कोटा विकास प्राधिकरण के विधेयक को वापस लेने का मसला गरमाया जाना पहले से ही लगभग था। क्योंकि पूर्व में श्री गहलोत के वरिष्ठ सहयोगी रह चुके भरत सिंह कुंदनपुर पहले ही प्रशासन को यह लिखित में दे चुके हैं कि मुख्यमंत्री के रूप में जब भी अशोक गहलोत कोटा आएंगे तो वह इन मसलों को लेकर उनसे मुलाकात करेंगे। अब जब यह तय हो गया है कि मुख्यमंत्री सितंबर महीने में कोटा आ रहे हैं तो भरत सिंह ने कहा है कि वे अपनी मांगों को लेकर श्री गहलोत से मिलेंगे।

-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा।
राजस्थान में कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी कैबिनेट के साथ बारां-कोटा जिले की सीमा पर स्थित खान की झोपड़िया गांव का दौरा करने का न्योता दिया है।

श्री भरत सिंह ने मुख्यमंत्री श्री गहलोत को भेजें एक पत्र ने कहा है कि वे पिछले तीन सालों से लगातार खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले की सीमा में शामिल करने की मांग करते आ रहे हैं क्योंकि नैसर्गिक रूप से ही खान की झोपड़िया गांव कोटा जिले का हिस्सा है जिसे प्रशासनिक त्रुटि की वजह से करीब तीन दशक पहले नये जिले के गठन के समय बारां जिले में शामिल कर लिया गया था लेकिन बाद में यह गलती मान भी ली गई।

हाल ही में निवर्तमान संभागीय आयुक्त ने जांच में इस बात को माना है कि खान की झोपड़िया गांव कोटा जिले का हिस्सा होना चाहिए था और इस बारे में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश कर चुके हैं लेकिन इसके बावजूद त्रुटि को अब तक सुधारा नहीं गया है और खान की झोपड़िया गांव अभी भी बारां जिले का हिस्सा बना हुआ है।

श्री भरत सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बड़ी सहजता के साथ राजस्थान में 19 नये जिले बना दिये लेकिन वे तो किसी नए जिले, तहसील या उपखंड मुख्यालय के गठन की भी मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि खान की झोपड़िया पर को नैसर्गिक दावेदारी होने के कारण उसे कोटा जिले की सीमा में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री को यह एक कठिन परीक्षा नजर आ रही है।

श्री भरत सिंह ने कहा कि उनकी जानकारी में आया है कि मुख्यमंत्री सितंबर महीने के पहले सप्ताह में कोटा में चंबल रिवर फ्रंट का उद्घाटन करने के लिए अपनी कैबिनेट के साथ कोटा आ रहे हैं तो वे भी इस मसले पर वार्ता करने के लिए मुख्यमंत्री से मिलेंगे।

इसके साथ ही वे कोटा विकास प्राधिकरण के गठन के विधेयक को वापस लेने की मांग भी करेंगे क्योंकि यह विधेयक जनहित में नहीं है। खास तौर से इससे किसानों का अहित होगा। श्री भरत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजे अपने पत्र में कहा है कि-” अगर आपमें साहस है तो आप अपनी कैबिनेट के सभी सदस्यों के साथ खान की झोपड़िया गांव का अवलोकन करें।

ताकि आपको वस्तु स्थिति स्पष्ट नजर आ सके कि इस गांव को कोटा जिले में क्यों नहीं शामिल किया जाता?” श्री भरत सिंह ने अपने पत्र में कहा है कि-” मैं इस मसले पर पिछले तीन सालों से आप को पत्र लिख रहा हूं। आप सत्य का सामना करने से कतरा रहे हैं।

कोटा में जब आप कैबिनेट की बैठक करें तो इस गांव को कोटा जिले में मिलाने के बारे में भी फ़ैसला करें। आपके लिए 19 नए जिले बनाना सहज है, मगर एक गांव खान की झोपड़िया को कोटा जिले में मिलाना कठिन क्यों है?”

श्री भरत सिंह ने अपने इस पत्र में मुख्यमंत्री से यह भी आग्रह किया है कि वे अपनी कैबिनेट खासतौर से उन्होंने खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया के संदर्भ में कहा कि उन्हें अपने साथ लेकर खान की झोपड़ियां गांव का अवलोकन करें।

श्री भरत सिंह ने कहा-” आपने यदि आंख-कान खुला रख कर सच्चाई को देखने का साहस दिखाया तो सब कुछ स्पष्ट दिखाई देगा।” उनका इशारा इस बात पर था कि नैसर्गिक रूप से खान की झोपड़ियां गांव बारां की नहीं बल्कि कोटा जिले की सीमा में आता है। इसलिए इसे कोटा जिले में शामिल किया जाना चाहिए, जिसकी मांग वे पिछले तीन साल से लगातार करते आ रहे हैं।