नई दिल्ली। विदेशी संस्थागत निवेशक अगस्त के पहले सप्ताह में पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। पांच महीने तक लगातार लिवाल रहने के बाद उन्होंने समीक्षाधीन सप्ताह में करीब 2,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। यस सिक्योरिटीज की मुख्य निवेश सलाहकार निताशा शंकर ने कहा कि मजबूत मूल्यांकन और मामूली मुनाफावसूली इस बिकवाली का मुख्य कारण रही।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘अमेरिका में 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल में चार प्रतिशत से अधिक की वृद्धि उभरते बाजारों में पूंजी फ्लो के लिए निकट अवधि में नकारात्मक होगी।’ उन्होंने कहा कि अगर अमेरिकी बांड का प्रतिफल ऊंचा बना रहा तो FPI द्वारा बिक्री जारी रखने या कम से कम खरीदारी से परहेज करने की आशंका है।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने एक से पांच अगस्त के दौरान शुद्ध रूप से 2,034 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। विदेशी संस्थागत निवेशकों के पांच महीने तक लगातार लिवाल रहने के बाद यह बदलाव देखा गया। इसके अलावा FPI ने पिछले तीन महीनों (मई, जून और जुलाई) में औसतन 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया।
आंकड़ों के अनुसार उन्होंने जुलाई में 46,618 करोड़ रुपये, जून में 47,148 करोड़ रुपये और मई में 43,838 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की। मार्च से पहले जनवरी और फरवरी में विदेशी निवेशकों ने 34,626 करोड़ रुपये निकाले थे।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के संयुक्त निदेशक एवं शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच के अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को एएए से घटाकर ‘एए प्लस’ करने को भी इस बिकवाली का मुख्य कारण बताया।