नई दिल्ली। जो लोग फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने के बाद उसके आधार पर फर्जी रसीदों के सहारे इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के दावे करते हैं और किसी भी तरह की सेवा या उत्पाद की सप्लाई के बगैर ही वह राशि अपने खाते में जमा करा टैक्स की चोरी करते हैं, अब उनकी खैर नहीं। केंद्र और राज्यों के टैक्स अधिकारियों ने ऐसे लोगों का पता लगाने के लिए दो महीने का एक विशेष अभियान शुरू किया है।
टैक्स अधिकारी विशेष अभियान के दौरान त्वरित कार्रवाई करेंगे। अगर कहीं गड़बड़ी मिली तो टैक्स अधिकारी उसका वेरिफिकेशन करेंगे। वेरिफिकेशन के दौरान संबंधित टैक्स पेयर्स काल्पनिक पाया गया यानी उसका कोई कारोबार नहीं है, उसने फर्जी तौर पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन करा रखा है तो उसके जीएसटी रजिस्ट्रेशन को निरस्त कर दिया जाएगा। साथ में पेनल्टी भी लगाई जाएगी।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा-शुल्क बोर्ड (CBIC) के दिशा-निर्देश के अनुसार जीएसटी के तहत पंजीकृत व्यापारियों को साइन बोर्ड में अपनी फर्म का नाम, पता, जीएसटी नंबर, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी लिखना होगा। इसके अलावा विशेष अभियान के तहत टैक्स अधिकारियों के मांगने पर उन्हें जीएसटी सर्टिफिकेट, बोर्ड ऐट गेट ऑफ बिजनेस प्लेस, अपना और अपने पार्टनर व डायरेक्टर का पैन व आधार नंबर, बिजली का बिल, बिल बुक और अगर दुकान व कार्यालय किराये पर हैं तो रेंट एग्रीमेंट दिखाना होगा। इनमें से किसी भी बात में चूक हुई तो टैक्स अधिकारी पेनल्टी लगा सकते हैं, जीएसटी रजिस्ट्रेशन को सस्पेंड कर सकते हैं और इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने की सुविधा को खत्म कर सकते हैं।
वित्त वर्ष 2022-23 में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी कर चोरी होने का अनुमान है। इसे देखते हुए टैक्स अधिकारियों ने फर्जी पंजीकरण पर नकेल कसने की कवायद शुरू की है। सीबीआईसी के अनुसार इस तरह से बेईमान लोग संदिग्ध और जटिल लेनदेन के जरिए सरकार को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इस दौरान संदिग्ध जीएसटी खातों की पहचान करने के साथ ही फर्जी बिलों को जीएसटी नेटवर्क (GSTN) से बाहर करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।