बेमौसम बारिश से गेहूं की कीमतों में दौड़ा करंट, सरकार की उम्मीदों पर पानी फिरा

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नई दिल्ली। गेहूं की उच्च कीमतों से जूझ रही सरकार की उम्मीदों पर बेमौसम बारिश ने पानी फेर दिया है। आंकड़ों से पता चलता है कि 11 मार्च से 23 मार्च के बीच बेमौसम बारिश ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाया है, जिससे बेहतर गुणवत्ता वाले गेहूं की कीमत करीब 50 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गई है।

वहीं खराब गुणवत्ता के गेहूं की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे है। क्रिसिल रेटिंग ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा है, ‘मध्य प्रदेश और गुजरात में ओले की वजह से गेहूं का उत्पादन 3-4 प्रतिशत घट सकता है। गेहूं, धान, जीरा, प्याज, टमाटर और आम की फसल को हुए नुकसान का असर इसकी कीमत पर पड़ेगा।’

व्यापारिक आंकड़ों से पता चलता है कि इंदौर मंडी में 11 मार्च को गेहूं की कीमत 1,800 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो 23 मार्च को बढ़कर 1,850 से 2,450 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इसी तरह से राजस्थान की कोटा मंडी में गेहूं का कारोबार 11 मार्च को 2,050 से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल पर हो रहाथा, जो 23 मार्च को 1,950 से 3,000 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया।

बहरहाल महंगाई दर के आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी 2023 (जिसका हाल का आंकड़ा उपलब्ध है) में जहां गेहूं की महंगाई दर थोक मूल्य सूचकांक में जनवरी के 23.63 प्रतिशत से गिरकर 18.54 प्रतिशत रह गई है। वहीं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर (जिसमें आटा शामिल होता है) इस अवधि के दौरान जनवरी के 25.05 प्रतिशत से बढ़कर फरवरी में 25.37 प्रतिशत हो गई।इससे पता चलता है कि भले ही थोक बाजार में गेहूं की कीमत कम हुई है, ग्राहकों के स्तर पर कीमत में गिरावट अभी नहीं हुई है।

भारी बारिश और ओले पड़ने की वजह से गेहूं की गुणवत्ता खराब हुई है, जिसकी बाजार में कम कीमत मिल रही है। केंद्र सरकार ने करीब 50 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला किया है, इसका भी असर गेहूं की कीमत पर पड़ा है। अब तक मिलर्स और ट्रेडर्स ने 50 लाख टन में से करीब 38 लाख टन गेहूं खरीदा है।