राजस्थान में बाल विवाह रोकने की असंभव सी कवायद शुरू

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
राजस्थान के कोटा संभाग के चारों जिलों में प्रशासनिक स्तर पर भले ही आने वाले महीनों में अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा, देवशयनी एकादशी जैसे अवसरों पर होने वाले बाल विवाह को रोकने के लिए अभी से कवायद शुरू कर दी है, लेकिन प्रशासन सभी बाल विवाह को रोक पाएगा, इसमें इस बार भी हमेशा की तरह संदेह है।

वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान बड़े स्तर पर सामाजिक समारोहों के आयोजनों पर प्रतिबंध लगने के बाद इस साल लगभग सारे प्रतिबंध हटने के साथ ही संभाग के चारों जिलों कोटा, बूंदी,बारां, झालावाड़ में विभिन्न जाति-समाजों के कई सामूहिक विवाह सम्मेलनों का संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजन होगा। अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा, देवशयनी एकादशी जैसे अवसर अक्सर सामूहिक विवाह सम्मेलन कुछ मामलों में बाल विवाहों के आयोजन के प्रमुख केंद्र बन जाते हैं।

हाडोती संभाग की विभिन्न जाति-समाजों में बाल विवाह गैर कानूनी होते हुये भी सामाजिक रूप से विभिन्न यात्री समाजों में सहजता से स्वीकार किये जाते हैं। सामाजिक स्तर पर इन आयोजन को अप्रत्याशित भी नहीं माना जाता है और सामाजिक रूप से इनका आयोजन होता रहता है। बहुत से ऐसे अवसर आते हैं जब प्रशासन ऎसी सामाजिक कुरीतियों को रोक पाने में अपने आपको असहाय या असहज सा महसूस करता है और कोशिशों के बावजूद रोक भी नहीं पाता।

राजस्थान में केवल हाडोती अंचल में ही नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य इलाकों में कई जाति-समाज में बाल विवाहों को इस कदर सामाजिक रुप से मान्यता मिली हुई है कि किसी घर-परिवार में या फिर सामूहिक विवाह सम्मेलनों जैसे आयोजनों में बाल विवाहों की जानकारी मिलने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग या अन्य सरकारी महकमें के अधिकारी पुलिस दलबल के साथ बाल विवाह रुकवाने के लिए मौके पर पहुंचते हैं, तो जाति-बिरादरी के अग्रणी लोग ही प्रशासन के सामने सामाजिक मान्यताओं की दुहाई देते नजर आते हैं।

अपनी लाचारी प्रकट करते हुये अधिकारियों को विचलित करने की हरसंभव कोशिश करते हैं। कई बार ऐसी भी अवसर आते हैं, जब ऐसी किसी प्रशासनिक कार्यवाही के खिलाफ बड़ी संख्या में लोग प्रशासन के खिलाफ एक साथ खड़े हो जाते हैं और कुछ एक मौकों पर प्रशासनिक अधिकारियों को पीछे हटने तक के लिए मजबूर होना पड़ता है। हालांकि प्रशासन अपने स्तर पर ऐसे आयोजनों को रोकने की हरसंभव कोशिश करता है, लेकिन सामाजिक दबाव इतने अधिक हावी होते हैं, कि सभी बाल विवाहों को रोक दिया जाए, ऐसा आमतौर पर संभव हो नहीं पाता।

आमतौर पर राज्य सरकार भी बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को रोकने को एक चुनौती के रूप में लेती है। यह हर संभव कोशिश होती है कि प्रशासनिक मशीनरी को ऐसे आयोजनों को रोकने के लिए सजग किया जाए। ऐसा ही राज्य सरकार के स्तर पर इस बार भी हुआ है और सरकार ने प्रशासन को अक्षय तृतीया सहित अन्य अबूझ सावों पर बाल विवाह को रोकने के निर्देश दिए गए हैं।

वैसे तो बाल विवाह रोकने वाले कानून के तहत अब बच्चों के माता-पिता के साथ ही पंडित, टेंट वाले और हलवाई के अलावा उसमें शामिल होने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाती है। प्रदेश में अब ग्रामीण इलाकों में तैनात शिक्षकों और अन्य सरकारी कर्मचारियों को भी बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी डाली गई है। इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों में जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों के साथ मिल कर बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन इस सारी कवायद के बावजूद कितने बाल विवाह रुक पाते हैं, यह सभी लोग भली-भांति जानते हैं।

इसी क्रम में कोटा जिले में आगामी अक्षय तृतीय (आखातीज), पीपल पूर्णिमा जैसे अबूझ सावों में बाल विवाह होने की सम्भावना को देखते हुए जिला कलक्टर ने आदेश जारी कर बाल विवाह की रोकथाम के लिए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देशित किया है।

कलक्टर ओपी बुनकर ने बताया कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, खण्ड विकास अधिकारी अपने क्षेत्र में भ्रमण करेंगे तथा अधीनस्थ फील्ड कार्मिकों को अपने-अपने क्षेत्र में भ्रमण कर बाल विवाह रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए पाबंद करेंगे। उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी, कार्मिक एवं मानदेय कार्मिक भी अपने-अपने क्षेत्र में भ्रमण कर बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में लोगों को जागरूक करना सुनिश्चित करेंगे।

श्री बुनकर ने नगर निगम, नगरपालिका क्षेत्र के अधिकारी भी बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में अभियान चलाकर तथा पोस्टर, बेनर लगाकर लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग को निर्देशित किया है कि विद्यालयों में बाल-विवाह के दुष्परिणाम व इससे संबंधित विधिक प्रावधानों के बारे में बच्चों को जानकारी दें।

पुलिस विभाग अपने-अपने क्षेत्र में बाल विवाह की सूचना मिलने पर बाल विवाह करवाने तथा बाल विवाह को प्रोत्साहित करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत विधिक कार्यवाही करें।