सुस्त रही दिसंबर तिमाही में जीडीपी की रफ्तार, विकास दर 4.4% की दर से बढ़ी

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नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सुस्त होकर 4.4 प्रतिशत रही। इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की समान तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 11.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। वहीं, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रही थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के मुताबिक मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन की वजह से जीडीपी में गिरावट आई है। एनएसओ ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। वहीं, एनएसओ ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 की वृद्धि दर को 8.7 प्रतिशत से संशोधित कर 9.1 प्रतिशत कर दिया है।

जनवरी 2023 में कोर सेक्टर में बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 7.8 प्रतिशत बढ़ा है। यह इसका चार माह का उच्चस्तर है। वहीं, जनवरी, 2022 में कोर सेक्टर के उत्पादन में चार प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। दिसंबर, 2022 में यह आंकड़ा सात प्रतिशत था। इस बार कोयला, उर्वरक, इस्पात और बिजली क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन के कारण यह वृद्धि दर्ज हुई।

बता दें कि कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली आते हैं। इसकी वृद्धि दर अप्रैल, 2022 से जनवरी, 2023 के दौरान 7.9 प्रतिशत रही। यह आंकड़ा इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 11.6 प्रतिशत था।

आरबीआई का घटाया अनुमान: बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई ने इससे पहले सात प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद जताई थी। वित्त वर्ष 2022-23 में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अर्थव्यवस्था में 7 प्रतिशत विस्तार का अनुमान लगाया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने की बात कही है।