राष्ट्रीय विचारक एवं सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ का संबोधन
कोटा। जनमंच संस्थान की ओर से रविवार को महावीर नगर स्थित श्रीरामशांताय सभागार में राष्ट्र चिंतन कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें राष्ट्रीय विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने “राष्ट्र… राष्ट्रीयता और चुनौतियां” विषय पर संबोधित किया।
कुलश्रेष्ठ ने अपने तकरीबन अनवरत 3 घंटे 45 मिनट के उद्बोधन में राष्ट्र और सनातन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को रखा। उन्होंने कहा कि संगठन बनते हैं, बिगड़ते हैं, पार्टियां टूटती हैं, बिखरती रहती हैं, लेकिन राष्ट्र से ऊपर कोई नहीं है। अपनी भूमिका व सामर्थ्य तय करें और पूरी शक्ति से उस काम को करें यही सबसे बड़ा राष्ट्रवाद है।
उन्होंने सनातन के विज्ञान को बताते हुए सूर्य को जल चढ़ाने और पीपल का पूजन करने की बात करते हुए कहा कि जिंदा कौम अपना इतिहास नहीं भूलती हैं। आजाद होने के बाद भी गुलामी का इतिहास पढ़ाने से संस्थाएं गुलाम बनी रहती हैं।
उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली यह सबसे बड़ा झूठ है। भारत के या ब्रिटेन के किसी डॉक्युमेंट में नहीं लिखा कि भारत 1947 को आजाद हुआ। यह केवल ट्रांसफर ऑफ पॉवर था।
भारत का अंतिम वायसरॉय ही पहला गवर्नर जनरल बना। जबकि चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को गवर्नर जनरल बनाने से पहले ब्रिटेन से अनुमति लेनी पड़ी। 1935 के भारतीय विधान की कार्बन कॉपी से संविधान बना और अंग्रेजों का पुलिस एक्ट आज भी लागू है। उन्होंने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि अंग्रेजों ने भारत को आजाद करने के लिए कांग्रेस का गठन किया हो।
उन्होंने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री चाचा नेहरु नहीं बल्कि सुभाष चंद्र बोस थे। आजाद हिंद फौज ने स्वराज की घोषणा की, अपना रेडियो स्टेशन स्थापित किया। जिसे दुनिया के 11 देशों ने मान्यता दी थी। आज अफगानिस्तान को केवल दो देशों ने मान्यता दी है। कुलश्रेष्ठ ने कहा कि सुभाष चंद्र बॉस के मकान की 1968 तक जासूसी होती रही, जिसकी रिपोर्ट ब्रिटेन की भेजी जाती थी।
जाति केवल मकान नंबर की तरह
कुलश्रेष्ठ ने कहा कि पटना के सबसे बड़े मंदिर का पुजारी दलित है। जिन्हें पुरुषार्थ पर भरोसा नहीं है, वे ही जाति का नाम लेकर सत्ता तक पहुंचना चाहते हैं। जाति केवल एक मकान नंबर की तरह है। जो केवल निजी पहचान है। जाति केवल चौखट तक ही रहनी चाहिए।
पौने चार घंटे तक अनवरत बोले कुलश्रेष्ठ
कुलश्रेष्ठ को सुनने के लिए तय समय से दो घंटे पहले ही लोग पहुंचने शुरु हो गए थे। तय समय 4 बजे तक पूरा सभागार भर गया था। आयोजकों को हॉल में एंट्री बंद करनी पड़ी। बड़ी संख्या में लोगों ने बाहर बैठकर ही उद्बोधन सुना। उन्होंने 4.45 पर बोलना शुरू किया और 8.30 तक अनवरत बोलते रहे। शुरुआत वंदेमातरम से हुई। बड़ी संख्या में संन्त भी मौजूद रहे।