विश्वस्तरीय साइंस सेंटर और प्लेनेटेरियम के लिए एनसीएसएम-राजस्थान सरकार में हुआ एमओयू
कोटा। कोटा में बनने वाला साइंस सेंटर और प्लेनेटेरियम विश्व के श्रेष्ठ साइंस सेंटर तथा तारामंडलों में एक होगा। यहां दी जाने वाली विज्ञान तथा अंतरिक्ष की जानकारी और प्रदर्शित किए जाने माॅडल्स विश्व के किसी भी अन्य तारामंडल के समान होंगे।
करीब 35.25 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले साइंस सेंटर तथा प्लेनेटेरियम के निर्माण को लेकर सोमवार को नेशनल काउंसिल ऑफ़ साइंस म्यूजियम्स तथा राजस्थान सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। इसके साथ ही दूसरे चरण में यहां इनोवेशन हब का भी निर्माण होगा। एमओयू हस्ताक्षर के दौरान लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसके लिए भी प्रस्ताव तैयार करने का कहा।
साइंस सेंटर के निर्माण पर 22.5 करोड़ रुपए का खर्च होगा जिसमें 9.58 करोड़ केंद्र सरकार जबकि 12.67 करोड़ रुपए राजस्थान सरकार का योगदान होगा। इसी तरह प्लेनेटेरियम के निर्माण पर 13 करोड़ रुपए का व्यय होगा जिसमें 5.60 करोड़ रूपए केंद्र सरकार तथा 7.40 करोड़ रुपए राज्य सरकार का अंशदान होगा।
उल्लेखनीय है कि कोटा में साइंस सेंटर तथा प्लेनेटेरियम की स्थापना के लिए केंद्र सरकार के स्तर पर स्वीकृति दिलवाने में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के विशेष प्रयास रहे थे। उनकी कोशिशों से ही गत 9 दिसंबर को नेशनल काउंसिल आफ साइंस म्यूजियम ने इनके निर्माण के लिए स्वीकृति जारी कर दी है।
इसी क्रम में सोमवार को हुए एमओयू के बाद इसका निर्माण कार्य जल्द प्रारंभ होने की संभावनाओं को भी बल मिला है। यह सुविधाएं विकसित होने का लाभ स्थानीय विद्यार्थियों के साथ कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आने वाले विद्यार्थियों को भी मिलेगा।
एनसीएसएम की देखरेख में होगा तकनीकी कार्य
एमओयू की शर्तों के अनुसार साइंस सेंटर तथा प्लेनेटेरियम के निर्माण का सभी तकनीकी कार्य नेशनल काउंसिल ऑफ़ साइंस म्यूजियम्स की देखरेख में होगा। एनसीएसएम ही प्रोजेक्ट के प्रबंधन, भवन का डिजाइन तैयार करने के लिए आर्किटेक्ट तथा निर्माणकर्ता के चयन का कार्य करेगा। इसके अलावा साइंस सेंटर तथा प्लेनेटेरियम के लिए किसी भी प्रकार के उपकरण क्रय करने की जिम्मेदारी भी एनसीएसएम की ही होगी। साइंस सेंटर तथा प्लेनटेरियम के भीतर माॅडल्स तथा उनके प्रदर्शित करने के स्थान चयन का काम भी एनसीएसएम करेगा। साइंस सेंटर तथा प्लेनेटेरियम में दिखाए जाने वाली माॅडल्स, अंतरिक्ष संबंधी फिल्में तथा अन्य सामग्री भी एनसीएसएम की देखरेख में तैयार होगा। इसके अलावा एनसीएसएम इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए फ्रेमवर्क तैयार करेगा ताकि कार्य समय और गुणवत्ता के साथ पूरा हो सके। साइंस सेंटर तथा प्लेनेटेरियम के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति तथा प्रशिक्षण के विषय में भी एनसीएसएम राजस्थान सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विभाग को सुझाव देगा।
विशेषज्ञ समिति देखेगी प्लेनेटेरियम का प्रबंधन
साइंस सेंटर तथा प्लेनेटेरियम निर्माण के लिए आवश्यक भूमि को समय पर उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी राजस्थान सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विभाग की होगी। इसके अलावा कनेक्टिविटी, संचार सेवा, पानी-बिजली की उपलब्धता, विभिन्न विभागों से क्लियरेंस का काम भी विभाग ही करेगा। साइंस सेंटर तथा प्लेनेटेरियम के प्रबंधन और संचालन का काम विभाग की देखरेख में होगा जिसके लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में केंद्र सरकार की संस्कृति मंत्रालय, एनसीएसएम, डीएसटी के प्रतिनिधियों के अलावा विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, वाणिज्य एवं उद्योग, संस्कृति तथा म्यूजियम के क्षेत्र से जुड़े पांच प्रबुद्ध व्यक्तियों को भी शामिल किया जाएगा।
साइंस सेंटर में होंगी यह सुविधाएं
एक थिमेटिक गैलेरी, फन साइंस गैलेरी, साइंस पार्क, चिल्ड्रन एक्टीविटी हाॅल, करीब 125 लोगों की क्षमता का ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस हाॅल बनेगा।
85 लोगों की क्षमता का होगा प्लेनेटेरियम
प्लेनेटेरियम में एक बार में 85 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। इसका डोम 10 मीटर का होगा। इसके अलावा अंतरिक्ष विज्ञान तथा खगोलशास्त्र पर इंटरेक्टिव प्रदर्शनी, विद्यार्थियों के लिए खगोल शास्त्र में एक्टिविटी एरिया, अंतरिक्षीय गतिविधियां देखने के लिए टेलीस्कोप, खगोल शास्त्र पर विशेषज्ञों के लेक्चर आयोजित करने के लिए एक मिनी हाॅल भी बनाया जाएगा।