हाड़ौती के किसानों का हो रहा धनिया से मोहभंग, घटा धनिए का रकबा

0
224

कोटा। अच्छी कीमत मिलने के बाउजूद पिछले कुछ सालों से हाड़ौती के किसानों का धनिया से मोहभंग हो रहा है। पिछले 10 सालों के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि 8 साल पहले 2014-15 में हाड़ौती में 2 लाख 42 हजार 870 हेक्टेयर पर धनिया की खेती हुई थी। इसके बाद के सालों में लगातार कम होती चली गई।

वहीं, इस साल महज 47 से 48 हजार हेक्टेयर में धनिया (Farmers made distance from coriander in Kota) की खेती की गई, जो 2014-15 की तुलना में 20 फीसद है। इससे पहले 2012-13 में 1,56,024 हेक्टेयर में 13-14 में 1,78,210 हेक्टेयर में बुआई हुई थी। जबकि 2015-16 में 1,93,759 हेक्टेयर में धनिया की बुआई की थी। इसके बाद बुआई का यह ग्राफ लगातार गिर रहा है। वर्ष 2016-17 में 1,26,775 हेक्टेयर में धनिया की खेती की गई थी।

बीते साल यानी 2021 में सबसे कम 33 हजार हेक्टेयर में धनिया की बुआई हुई थी। राजस्थान में सबसे ज्यादा बुआई और उत्पादन हाड़ौती में ही होता रहा है। इसके अलावा चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा में भी इसकी खेती होती है। हालांकि, दोनों जिलों को मिलाकर करीब 5000 हेक्टेयर के आसपास ही फसल होती है। हाड़ौती में इसका रकबा गिरना चिंता का विषय है। पिछले साल यहां 33,044 हेक्टेयर में ही फसल उगाई गई थी। जिससे उत्पादन भी 44,681 मीट्रिक टन हुआ था.

एक्सपर्ट का मानना है कि धनिया के भाव 3 साल कम रहते हैं और फिर अगले 3 साल दामों में काफी इजाफा हो जाता है। इसीलिए लोग धनिया का स्टॉक करके भी रखते हैं। यह स्टॉक धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। तभी धनिया के भाव बढ़ जाते हैं। . किसानों का मानना है कि 5 साल पहले धनिया के दाम काफी कम थे। इसी के चलते लगातार रकबा गिरता रहा। यह भाव 5 से 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गए थे. इन दामों में इजाफा लगातार हो रहा था. बीते साल धनिया रंगदार 13 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिक चुका है।

नहीं बढ़ा रकबा: हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के ज्वाइंट डायरेक्टर पी के गुप्ता का कहना है कि पिछले साल धनिया का रकबा भी कम था और फसल में रोग भी नहीं था। इस बार उम्मीद के मुताबिक किसानों ने धनिए की बुआई नहीं की। उद्यान विभाग ने 80000 हेक्टेयर तक में धनिया के उत्पादन की संभावना जताई थी, लेकिन यहां 47 से 48 हजार हेक्टेयर में ही बुवाई की गई। बीते साल से ये रकबा 15000 हेक्टेयर से अधिक था।

ज्वाइंट डायरेक्टर गुप्ता का कहना है कि बाजार में डिमांड ज्यादा है, क्योंकि लोगों का किया स्टॉक पूरी तरह से खत्म हो गया है। इस बार ऐसा लग रहा है कि देर तक बारिश हुई थी, तो लोगों ने अन्य फसलों की बिजाई कर दी है। अरंडखेड़ा के किसान का कहना है कि धनिया में इस बार थोड़ा रुझान बढ़ा है, पिछली बार भाव काफी अच्छा मिला व पैदावार भी बहुत अच्छी हुई थी। बीते दो 4 सालों से लोंगिया और मुड़िया रोग आने की वजह से लोग इस फसल से दूर हट गए थे, लेकिन पिछले साल यह रोग नहीं आया था। यह कम पानी की फसल है। एक रेलना और एक पानी में ही यह फसल हो जाती है।

चना और सरसों पर शिफ्ट हुए किसान:एक्सपर्ट का मानना है कि धनिए का उत्पादन भी एक हेक्टेयर में करीब 12 से 15 क्विंटल के आसपास होता है। लेकिन जब रोग लग जाता है, तब यह उत्पादन कम हो जाता है। किसान को एक हेक्टेयर में उत्पादन करने पर 50 से 60 हजार रुपए का ही उत्पादन बैठता है। इसी के चलते उसका रुझान दूसरी फसलों पर डायवर्ट हो गया, जिसमें सरसों व चना प्रमुख है।

वर्षवार आंकड़ों पर एक नजर
साल रकबा (हेक्टेयर) उत्पादन (मीट्रिक टन)
2017-18 92290 137390
2018-19 65269 73123
2019-20 56054 81642
2020-21 50604 66943
2021-22 33044 44681