नयी दिल्ली। इस सप्ताह वैश्विक कारकों और विदेशी फंडों की कारोबारी गतिविधियों से बाजार की आगे की दिशा तय होगी। विशेषज्ञों ने यह राय दी।
स्वास्तिका इंवेस्टमार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ”इस सप्ताह कोई महत्वपूर्ण संकेत नहीं आना है। इसलिए हम तेजड़ियों और मंदड़ियों के बीच कड़ा मुकाबला देख सकते हैं। अमेरिकी बाजार इस समय फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के बाद बिकवाली की दूसरी लहर का अनुभव कर रहा है। ये रुझान आगे भी जारी रह सकता है।”
उन्होंने आगे कहा, ”एफआईआई दिसंबर के एक महत्वपूर्ण हिस्से में शुद्ध विक्रेता थे और इसलिए संस्थागत आवक एक और महत्वपूर्ण कारक होगा, जो बाजार को प्रभावित कर सकता है।”
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अजीत मिश्रा ने कहा कि किसी भी बड़ी घटना के अभाव में बाजार वैश्विक सूचकांकों, विशेष रूप से अमेरिकी संकेतों से प्रभावित होगा।
यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) और बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) जैसे वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दरों में वृद्धि और आक्रामक टिप्पणी देने में अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुसरण किया। इस वजह से पिछले सप्ताह दुनिया भर के बाजारों में गिरावट आई।
पिछले सप्ताह सेंसेक्स 843.86 अंक या 1.36 प्रतिशत गिरा, जबकि निफ्टी 227.60 अंक या 1.23 प्रतिशत टूट गया। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि फेडरल रिजर्व ने तेजतर्रार रुख को बरकरार रखा, जबकि निवेशक कुछ नरमी की उम्मीद कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रमुख घटनाक्रम की कमी के कारण इस सप्ताह घरेलू बाजार वैश्विक सूचकांकों का अनुसरण कर सकते हैं। इसके अलावा, आगामी सर्दियों की छुट्टी के कारण संस्थागत निवेशकों की कम भागीदारी से बाजार में सुस्ती बनी रहेगी।