भामाशाह मंडी में नीलामी की जगह पड़ने लगी कम, हजारों किसान हो रहे परेशान

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अव्यवस्थित कृषि जिंसों के ढेर से रोज लगता है मंडी में जाम

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। एशिया की सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी माने जाने वाली राजस्थान के कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में बिकने के लिए आने वाली कृषि जिंसो के रखने के लिए सुव्यवस्थित व्यवस्था नहीं होने के कारण हर रोज हजारों की संख्या में किसानों को दिक्कतें उठानी पड़ती हैं।

किसानों को कहना है कि भामाशाह कृषि उपज मंडी में स्थान की इतनी कमी नहीं है, जितनी कि यहां अव्यवस्थित ढंग से कृषि जिंसों को रखवा कर उनकी नीलामी की व्यवस्था की जाती है। इस अव्यवस्थित प्रणाली की वजह से यहां अपनी उपज बेचने आने वाले किसानों को उत्पादित कृषि जिंसो के ढेरियां लगाने के लिए स्थान नहीं मिल पाता।

उन्हें अपनी उपज मंडी परिसर में रखने के लिए तीन-तीन दिन तक प्रतीक्षा करके ढेरों तकलीफ उठानी पड़ती है। इसके अलावा किसानों पर अतिरिक्त वित्तीय भार भी पड़ता है, क्योंकि जो किसान अपनी उपज को बेचने के लिए किराए-भाड़े पर ट्रैक्टर-मिनी ट्रक आदि वाहन लाते हैं, उन्हें उसका किराया-भाड़ा भी वहन करना होता है। इसका अंततः नुकसान किसानों को ही उठाना पड़ता है।

इस बारे में हाड़ौती किसान यूनियन के प्रतिनिधि जगदीश कुमार ने कोटा संभाग के किसानों को कृषि उपज मंडी में खरीफ कि फसलों को वर्तमान में बेचने में आ रहे व्यवधान को समाप्त करवाने के लिए राज्य के कृषि विपणन मंत्री मुरारी लाल मीणा को पत्र प्रेषित किया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में गत एक नवम्बर से कृषि उपज (जिंस) को बेचने के लिए मंडी परिसर में सुव्यवस्थित रूप से स्थान उपलब्ध नहीं होने के कारण हजारों किसानों को लगातार तीन दिनों तक उपज बेचने के लिए रुकना पड़ रहा है।

इससे किसानों को किराये पर लाए गये लोडिंग वाहनों ट्रेक्टर ट्राली का प्रति वाहन एक हजार रुपए से अधिक प्रति दिवस किराया देने के लिए विवश होना पड़ रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसी स्थिति में कृषि उपज मंडी भामाशाह प्रशासन को अविलंब निर्देशित कर वाहनों की पार्किंग व्यवस्था के लिये मंडी परिसर की दीवार को तोड़कर स्थान निर्धारित किया जाए। ताकि, मंडी परिसर में वाहनों की आवाजाही की सुविधा बन सक।

जगदीश कुमार ने पत्र में यह भी अवगत कराया कि वर्तमान में किसानों को रबी की फसलों कि बुआई के लिए खाद-बीज की खरीद के लिए फसल बेचने का दबाव बना हुआ है और समय पर फसल कि बुआई की जानी है। क्योंकि ऐसा नही होने की हालत में उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

हाड़ौती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने कहा है कि कोटा कृषि उपज मंडी भामाशाह में स्थित परिसर वर्तमान में किसानों के उत्पादित माल में वृद्धि के कारण गत आठ से दस वर्षों से छोटा पड़ने लगा है। क्योंकि मंडी की विश्वसनीयता की वजह से राजस्थान से बाहर के मध्यप्रदेश आदि राज्यों के जिलों के किसान कोटा मंडी में नकद भुगतान व्यवस्था होने के कारण उपज बेचने के लिए आकर्षित होते हैं।

ऐसी स्थिति में कृषि उपज मंडी भामाशाह परिसर को विस्तारित करवाए जाने के लिए किसान, हम्माल, स्थानीय व्यापारियों सहित संबंधित पक्षों की बैठक हाड़ोती किसान यूनियन की ओर से आयोजित की जाएगी। उन्होंने बताया कि बैठक में मंडी परिसर के विस्तार के लिए आन्दोलन की रणनीति निर्धारित की जाएगी।