देश को आधुनिक और समान न्यायपालिका की ओर बढ़ने की जरूरत: CJI

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नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा, वह जानते हैं कि उनसे काफी उम्मीदें हैं, लेकिन वह यहां चमत्कार करने नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में वह सुप्रीम कोर्ट में अपने सहयोगियों को देखेंगे और उनके अनुभव व ज्ञान से लाभ प्राप्त करेंगे, जिसका पारंपरिक रूप से उपयोग नहीं किया गया है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों के न्यायाधीशों से जिला अदालतों के न्यायाधीशों के साथ आचरण में औपनिवेशिक मानसिकता और अधीनता की संस्कृति छोड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि देश को अधिक आधुनिक और समान न्यायपालिका की ओर बढ़ने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा सीजेआइ के रूप में नियुक्ति पर अभिनंदन के लिए आयोजित समारोह में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘कुल मिलाकर, मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि मैं यहां चमत्कार करने नहीं आया हूं। मुझे पता है कि चुनौतियां अधिक हैं, शायद अपेक्षाएं भी अधिक हैं और मैं आपके विश्वास की भावना का बहुत आभारी हूं, लेकिन मैं यहां चमत्कार करने के लिए नहीं हूं।’

उन्होंने कहा, ‘हर दिन मेरा आदर्श वाक्य है कि अगर यह मेरे जीवन का आखिरी दिन होता, तो क्या मैं दुनिया को एक बेहतर जगह के तौर पर छोड़ता। मैं हर दिन खुद से यही पूछता हूं।’ न्यायपालिका में रिक्तियों पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला अदालतों में 25 प्रतिशत पद खाली हैं, हाई कोर्टों में 30 प्रतिशत और शीर्ष अदालत में कुछ सीटें खाली हैं और उन्हें योग्यता के आधार पर भरा जाएगा।

CJI ने कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम एक अधिक आधुनिक न्यायपालिका और समान न्यायपालिका की ओर बढ़ें और जब तक हम हाई कोर्टों या सुप्रीम कोर्ट में यह महसूस न करें कि जिला न्यायपालिका न्यायिक प्रणाली का मूल या आधारशिला है, तब तक कुछ भी नहीं बदलने जा रहा।’ न्यायपालिका में औपनिवेशिक मानसिकता पर चर्चा करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘मैं जिला न्यायाधीशों को अधीनस्थ न्यायाधीशों के रूप में नहीं बुलाने का प्रयास करता हूं क्योंकि वे अधीनस्थ नहीं हैं। वे जिला न्यायपालिका से संबंधित हैं।’

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, उन्होंने जिला अदालतों का दौरा किया है, वहां परंपरा थी कि जब हाई कोर्ट के न्यायाधीश दोपहर या रात का भोजन कर रहे होते थे तो जिला न्यायाधीश खड़े रहते थे। कभी-कभी वे हाई कोर्ट के न्यायाधीशों को (भोजन) परोसने की कोशिश करते थे।

यह हमारी औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। सीजेआइ ने कहा कि उन्होंने हमेशा जिला न्यायाधीशों को एक ही मेज पर बैठने और भोजन करने पर जोर दिया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने मामलों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया को पारदर्शी व उद्देश्यपूर्ण बनाने और इसमें मानवीय तत्व को खत्म करने के लिए प्रौद्योगिकी को नियोजित करने पर जोर दिया।

पूर्व CJI ललित की सराहना : इस दिशा में कदम उठाने के लिए उन्होंने अपने पूर्ववर्ती जस्टिस यूयू ललित की सराहना भी की।इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास ¨सह ने प्रधान न्यायाधीश से अनुरोध किया कि शीर्ष अदालत में जजों की पदोन्नति समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित की जाए। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि जस्टिस चंद्रचूड़ ऐसी विश्वसनीय व्यवस्था बनाएंगे जिससे शीर्ष कोर्ट के योग्य वकीलों के हाई कोर्टों में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति पर नियमित रूप से विचार होगा।