दिल्ली बाजार/सस्ते आयात के कारण सोयाबीन तेल के दाम धराशायी

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नयी दिल्ली। मलेशिया एक्सचेंज में तेजी के रुख के बीच दिल्ली तेल- तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों के साथ-साथ मांग बढ़ने के कारण सरसों तेल-तिलहन के भाव मजबूती दर्शाते बंद हुए।

बाजार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज के मजबूत होने से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में तेजी रही जबकि क्रमिक तौर पर आयात शुल्क मूल्य में पर्याप्त कमी किये जाने के कारण सोयाबीन डीगम तेल को छोड़कर सोयाबीन के बाकी तेल-तिलहन के दाम टूटते दिखाई दिये। सोयाबीन डीगम के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे और इसमें अधिक कारोबार नहीं हो रहा है। नयी फसल आने के बीच मांग कमजोर होने से बिनौला तेल कीमतों में भी गिरावट आई। बाकी तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में चार प्रतिशत की तेजी थी, वहीं शिकॉगो एक्सचेंज 1.25 प्रतिशत मजबूत था।सूत्रों के अनुसार, विदेशी बाजारों में तेजी का असर स्थानीय तेल-तिलहन बाजार पर भी पड़ा है। जिन किसानों ने सोयाबीन बीज लगभग 100 रुपये किलो के भाव खरीदा था, उन्हें भाव टूटने के कारण अपनी उपज को सस्ते में बेचने की मजबूरी आ गई है। जिस सोयाबीन डीगम के लिए लगभग चार महीने पूर्व आयात के ऑर्डर दिये गये थे उस तेल की कीमत, आयात शुल्क मूल्य में निरंतर कई बार की गई कमी के कारण, घटकर काफी नीचे आ गई हैं।

यानी आयात भाव के मुकाबले इस तेल का मौजूदा भाव काफी सस्ता है और ऐसे में आयातकों को अपनी लागत निकालने में मुश्किल आ रही है। सस्ते आयात के सामने किसान अपनी उपज को सस्ते में बेचने को विवश हो रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयात के कारण सोयाबीन तेल के दाम धराशायी हो गये हैं। देश के किसानों की भी नई फसल बाजार में आने वाली है जिससे अभी से कीमतों पर दबाव बना हुआ है। दूसरी ओर विदेशों में जिस मात्रा में भाव टूटे हैं, उस अनुपात में गिरावट के बावजूद सोयाबीन रिफाइंड के स्थानीय भाव अभी भी ऊंचे पड़ रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने उपभोक्ताओं को राहत देने की मंशा से सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के सालाना 20-20 लाख टन का शुल्कमुक्त आयात करने की छूट दी थी, लेकिन इसके बावजूद उपभोक्ताओं को ये तेल महंगे में खरीदना पड़ रहा है। सूत्रों ने कहा कि पामतेल की कीमतें चार-पांच माह पहले के 158 रुपये किलोग्राम से घटकर अब 77 रुपये किलो रह गईं। इस गिरावट से स्थानीय तिलहन उत्पादक किसान तबाह हैं क्योंकि उन्हें अपनी लागत से कम दाम पर अपनी उपज बेचने की विवशता आ रही है। तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,660-6,690 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली -6,900-6,965 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,900 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,640-2,810 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 13,350 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,075-2,205 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,145-2,260 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,000-19,500 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,850 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,750 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,350 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 7,800 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,400 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 8,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना – 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज 4,500-4,600 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।