नई दिल्ली। Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के सियासी संकट को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर पांच दिन में जवाब मांगा है। कोर्ट अब इस मामले में 11 जुलाई को सुनवाई करेगा। वहीं उद्धव ठाकरे ने बागी मंत्रियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उनके मंत्रालयों को छीन लिया है। दूसरी तरफ एक जमीन घोटाले को लेकर शिवसेना नेता संजय राउत को ईडी ने नोटिस भेजा है। उन्हें कल पेश होने के लिए कहा गया है।
डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर 12 जुलाई तक रोक: सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में बागी विधायकों को डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर जवाब देने का समय बढ़ा दिया है। इन विधायकों को आज शाम साढ़े पांच बजे तक नोटिस का जवाब देना था। कोर्ट ने बागियों को जबाव देने के समय 12 जुलाई शाम 5.30 तक बढ़ा दिया। कोर्ट ने सभी 39 बागी विधायकों और उनके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश भी राज्य सरकार को दिया है। महाराष्ट्र राज्य के वकील ने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सभी 39 विधायकों और उनके परिवार के सदस्यों के जीवन और संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचे।
शिंदे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस: शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। डिप्टी स्पीकर, अजय चौधरी, सुनील प्रभु व केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया है। पांच दिन में नोटिस का जवाब देने को कहा गया है। इस मामले में अब 11 जुलाई को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगे डिप्टी स्पीकर कार्यालय के रिकॉर्ड: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम विधानसभा के सक्षम अधिकारी से जवाब मांगेंगे कि डिप्टी स्पीकर को प्रस्ताव मिला था या नहीं? क्या उस प्रस्ताव को उन्होंने खारिज कर दिया? क्या वह अपने ही मामले में जज हो सकते हैं? इसके बाद डिप्टी स्पीकर जीरवाल की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि डिप्टी स्पीकर ने ईमेल के माध्यम से भेजे गए उनके निष्कासन के प्रस्ताव की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, डिप्टी स्पीकर कार्यालय के सभी रिकॉर्ड हमारे सामने होने चाहिए।
अयोग्यता याचिका पर कोर्ट ने सिंघवी से किया सवाल: सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव गुट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से सवाल किया है कि जब एक स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित है तो क्या वह ऐसे में आयोग्यता याचिकाओं पर फैसला कर सकता है? कोर्ट के सवाल पर सिंघवी ने 1961 में सुप्रीम कोर्ट के 8-न्यायाधीशों की बेंच के फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा, उस बेंच के आदेश के मुताबिक जब तक स्पीकर अंतिम रूप से फैसला नहीं कर लेता तब तक उसकी कार्रवाई की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती।
कोर्ट ने कहा कि हमें समझाइए कि क्या जिस स्पीकर को हटाने की मांग की गई है, क्या वह खुद उस नोटिस पर फैसला कर सकता है? इसके जवाब में सिंघवी ने कहा कि हां, वह कर सकता है।
सिंघवी ने याचिका दायर करने पर उठाए सवाल: उद्धव गुट की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पक्ष रख रहे हैं। सिंघवी ने शिंदे गुट द्वारा सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, शिंदे की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा बहुत अच्छी तरह से सुनवाई की जा सकती है।
अयोग्यता पर डिप्टी स्पीकर नहीं ले सकते फैसला: शिंदे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कौल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में कहा था कि जब तक अविश्वास प्रस्ताव पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक अयोग्यता याचिका पर डिप्टी स्पीकर को फैसला लेने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा, अविश्वास प्रस्ताव लंबित रहने तक डिप्टी स्पीकर आगे नहीं बढ़ सकते।