मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी मंत्री एकनाथ शिंदे ने उनके साथ 15 अन्य बागी विधायकों को विधानसभा उपाध्यक्ष के भेजे गए अयोग्यता वाले नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करने जा रहा है। याचिका में शिंदे की ओर से इस कार्रवाई को गैर-कानूनी और असंवैधानिक करार देने और इस पर रोक लगाने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ इसकी सुनवाई करने जा रही है।
दोनों ही पार्टियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील आमने-सामने होंगे। एकनाथ शिंदे की ओर से हरीश साल्वे पैरवी करेंगे तो शिवसेना की ओर से अपना पक्ष रखने के लिए अभिषेक मनु सिंघवी को हायर किया गया है। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से देवदत्त कामत पक्ष रखेंगे तो विधानसभा के डेप्युटी स्पीकर की तरफ से रवि शंकर जंध्याला केस लड़ेंगे।
बागी विधायकों ने राज्य की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है जिससे सरकार गिरने का खतरा उत्पन्न हो गया है। शिंदे के नेतृत्व वाला विद्रोही समूह मांग कर रहा है कि शिवसेना को महा विकास आघाड़ी गठबंधन (एमवीए) से हट जाना चाहिए, लेकिन शिवसेना सुप्रीमो और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हार मानने से इनकार कर दिया है और पार्टी ने अब असंतुष्टों से कहा है कि वे इस्तीफा दें और फिर से चुनाव लड़ें। एमवीए में कांग्रेस और एनसीपी भी शामिल हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने इन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराये की मांग पर शनिवार को 16 बागी विधायकों को ‘समन’ जारी कर 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा था। उम्मीद थी कि 27 जून को कुछ इस मामले में स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। हालांकि रविवार को सुप्रीम कोर्ट में इस अयोग्य करार देने वाले नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका हो गई तो मामला और पेचीदा हो गया।
शिंदे ने महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्यों (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1986 के प्रावधानों के मनमाने और अवैध इस्तेमाल को चुनौती दी है। उन्होंने याचिका में कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के लिए विवश हैं। उनका कहना है कि विधानसभा उपाध्यक्ष ने विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के लिए शुरू की गई प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) का पूरी तरह से उल्लंघन है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि फरवरी 2021 में नाना पटोले के पद से इस्तीफा देने के बाद से अध्यक्ष की सीट खाली है और किसी अन्य के पास यह अधिकार नहीं है कि वह अयोग्यता याचिका पर निर्णय ले सके, जिसके तहत याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया है।
शिंदे पक्ष ने नोटिस को ही बताया अयोग्य: ठाणे के कोपरी-पछपाखडी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक शिंदे ने शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु के कहने पर बागी विधायकों के खिलाफ शुरू की गई अवैध अयोग्यता कार्यवाही को चुनौती दी है और कहा है कि शिवसेना विधायक दल के मुख्य सचेतक से उन्हें हटाए जाने के बाद उनके पास व्हिप जारी करने का कोई अधिकार नहीं रह गया है और तदनुरूप मामले को सत्यापित किए बिना उपाध्यक्ष द्वारा समन जारी किया जाना अनुचित है।