नई दिल्ली। देश में बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए मोदी सरकार गेहूं और चीनी के निर्यात पर पाबंदी के बाद अब चावल के निर्यात पर भी बैन लगा सकती है। उधर सरकारी सूत्रों ने इससे इंकार किया है। भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत से 150 से अधिक देशों को चावल का निर्यात किया जाता है।
सरकार ने 14 मई को गेहूं के एक्सपोर्ट पर निर्यात लगा दिया था। रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की कीमत में काफी तेजी आई है। इस कारण देश में भी गेहूं की कीमत में काफी तेजी आई है। कीमतों को काबू में करने के लिए सरकार ने इसके निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। साथ ही सरकार ने चीनी के निर्यात को भी सीमित कर दिया है। इसके बाद चावल के निर्यात पर भी बैन लगाने की अटकलें लग रही थी।
चावल का पर्याप्त स्टॉक
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में एक सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि देश में चावल का जरूरत से ज्यादा स्टॉक है। इसकी कीमत बढ़ने या निर्यात के लिए उपलब्धता को लेकर कोई चिंता नहीं है। इसलिए अभी चावल के निर्यात पर रोक लगाने की कोई योजना नहीं है। फाइनेंशियल ईयर 2022 में देश से चावल का निर्यात 2.12 करोड़ टन पहुंच गया जो उससे पिछले साल के दौरान 1.78 करोड़ टन रहा था।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोटर्स एसोसिएशन के प्रेजिडेंट बीके कृष्णा राव ने कहा कि निर्यात बढ़ने के बावजूद चावल की कीमत में गिरावट आ रही है। इसकी वजह यह है कि भारत में इसका बहुत बड़ा भंडार है।
फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) खरीद बढ़ा रही है। एफसीआई के पास चावल और धान को 6.622 करोड़ टन का भंडार है जबकि उसका टारगेट 1.358 करोड़ टन है। राव ने कहा कि निर्यात पर कोई पाबंदी लगाने की जरूरत नहीं है। यूक्रेन में लड़ाई के कारण गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ है लेकिन चावल के साथ ऐसी कोई बात नहीं है।