नई दिल्ली। मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Limited) ने फ्यूचर समूह (Future Group) के साथ अपने 24,713 करोड़ रुपये के सौदे को कैंसिल कर दिया है। RIL ने कहा है कि इस सौदे को सुरक्षित कर्जदाताओं की बैठक में मंजूरी नहीं मिलने के बाद क्रियान्वित नहीं किया जा सकता है।
लिहाजा भारत के रिटेल कारोबार पर मुकेश अंबानी के राज करने की संभावनाएं फिलहाल टल गई हैं। इस सौदे के कैंसिल होने में ऐमजॉन का बड़ा हाथ है क्योंकि वह शुरू से ही इस सौदे के खिलाफ थी।
पूरा मामला शुरू हुआ अगस्त 2020 से। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर लिमिटेड (RRVL) ने अगस्त 2020 में फ्यूचर ग्रुप (Future Group) के साथ एक सौदे की घोषणा की। सौदा था कि RRVL, फ्यूचर ग्रुप के खुदरा व थोक कारोबार और लॉजिस्टिक्स व वेयरहाउसिंग बिजनेस की 19 कंपनियों का अधिग्रहण करेगी। एकमुश्त 24,713 करोड़ रुपये में सौदा होना फाइनल हुआ।
अधिग्रहण योजना के तहत फ्यूचर ग्रुप अपनी कुछ कंपनियों का विलय फ्यूचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (FEL) में करने वाला था और फ्यूचर ग्रुप के खुदरा और थोक कारोबार को RRVL की सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल एंड फैशन लाइफस्टाइल लिमिटेड (RRFLL) को ट्रांसफर किया जाने वाला था। हालांकि फ्यूचर समूह के वित्तीय एवं बीमा कारोबार इस सौदे का हिस्सा नहीं थे।
अब मामले में एंट्री होती है अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी ऐमजॉन की। हुआ यूं था कि Jeff Bezos की ऐमजॉन ने अगस्त 2019 में फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड में 49 फीसदी हिस्सेदारी को खरीदा था। फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड प्रमोटर एंटिटी है और फ्यूचर रिटेल में 7.3 फीसदी हिस्सेदारी रखती है। सौदे के तहत ऐमजॉन को 3 से 10 साल के अंदर फ्यूचर रिटेल में हिस्सेदारी खरीदने का भी अधिकार मिला। जब फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच सौदा हुआ तो ऐमजॉन ने इस डील को चुनौती दे डाली और सौदे को लेकर फ्यूचर ग्रुप के खिलाफ सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में याचिका दायर कर दी।
ऐमजॉन का कहना था कि फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस के साथ डील कर ऐमजॉन के साथ हुए कांट्रैक्ट के नियमों को तोड़ा है। फ्यूचर समूह में ऐमजॉन का निवेश कॉन्ट्रैक्चुअल अधिकारों के साथ है, जिनमें फर्स्ट रिफ्यूजल का अधिकार और एक ‘नॉन कंपीट लाइक पैक्ट’ शामिल है। ऐमजॉन ने अपने लीगल नोटिस में कॉन्ट्रैक्ट अरेंजमेंट का हवाला भी दिया, जिसमें उन कंपनियों की लिस्ट थी जिनके साथ फ्यूचर समूह सौदा नहीं कर सकता।