मुंबई। रिजर्व बैंक के गवर्नर ऊर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो दिवसीय बैठक आज यहां शुरू हो गई। सरकार के साथ उद्योग जगत भी उम्मीद कर रहा है कि केंद्रीय बैंक वृद्धि दर को प्रोत्साहन देने के लिए ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर तीन साल के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई है। हालांकि, विशेषज्ञ मानकर चल रहे हैं कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखेगा।
चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजे कल जारी किए जाएंगे। इस पर सभी पक्षों की निगाह हैं। विशेष रूप से उद्योग ब्याज दरों में कटौती की मांग कर रहा है।
हालांकि, बैंकरों का मानना है कि रिजर्व बैंक यथा स्थिति कायम रखेगा, क्योंकि मुद्रास्फीति बढ़ी है। एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय बैंक कल मौद्रिक समीक्षा में यथास्थिति कायम रखेगा। इस समय रिजर्व बैंक निचली वृद्धि दर, नरम मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितता के बीच फंसा है।
मॉर्गन स्टेनली के शोध नोट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में बदलाव नहीं करेगा। हालांकि, वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने पिछले सप्ताह कहा था कि खुदरा मुद्रास्फीति निचले स्तर पर है इससे केंद्रीय बैंक अगली मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरें घटा सकता है।
उद्योग मंडल एसोचैम ने एमपीसी को पत्र लिखकर कहा है कि ब्याज दरों में कम से कम चौथाई प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए, क्योंकि उभरती चुनौतियों की वजह से अर्थव्यवस्था को तत्काल कुछ राहत की जरूरत है। अपनी पिछली बैठक में एमपीसी ने रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया था। यह दस महीने में पहली कटौती थी।