नोट प्रेस देवास से रुपये चोरी करने वाले अफसर मनोहर वर्मा को उम्र कैद, जानिए कैसे पकड़ा

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देवास। बैंक नोट प्रेस देवास से रुपये की चोरी करने वाले अफसर मनोहर वर्मा को उम्र कैद की सजा हुई है। मनोहर वर्मा ने बैंक नोट प्रेस से 90 लाख 59 हजार 300 रुपये की चोरी की थी। तीन महीने तक लगातार वह प्रेस से जूते में भरकर नोटों की गड्डियां घर ले जाता था। इस काम को वह इतनी चालाकी से करता था कि पकड़ में नहीं आ रहा था। ड्यूटी पर तैनात सीआईएसएफ के दो जवानों की सजगता के कारण उसकी चालाकी एक दिन पकड़ी गई और सब राज खुल गया। इस खुलासे के बाद बैंक नोट प्रेस में खलबली मच गई थी। इसके बाद मनोहर वर्मा के घर से 64 लाख रुपये के करीब की राशि बरामद हुई थी।

आरोपी मनोहर वर्मा बीएनपी सेक्शन में डेप्युटी कंट्रोलर था। बीएनपी सेक्शन में रिजेक्ट नोटों की कटिंग की जाती है। वर्मा का एम्पलाई आईडी 4106 था। वर्मा की भर्ती बैंक नोट प्रेस देवास में 1984 में बतौर क्लर्क हुई थी। प्रमोशन पाकर वह डेप्युटी कंट्रोलर के पद पर पहुंचा था। बैंक नोट प्रेस में आने जाने वाले हर कर्मियों की सघन तलाशी होती है। सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ के पास है। चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं। वहीं, अधिकारियों की श्रेणी में आने वाले लोगों की उतनी तलाशी नहीं होती है। इसी का फायदा मनोहर वर्मा ने उठाया था।

ऐसे की चोरी की शुरुआत
दरअसल, देवास बैंक नोट प्रेस में छह हिस्सों में नोटों की छपाई होती है। चौथे और पांचवें चरण में गड़बड़ नोटों की छटाई होती है। आरोपी मनोहर वर्मा इसी हिस्से में पदस्थ था। इसी सेक्शन में से वह नोटों की गड्डियों को मौका मिलते ही डस्टबिन में फेंक देता था। इसके बाद उन नोटों को अपने लॉकर में ले जाकर रखता था। महीनों तक वर्मा इसी तरह से नोटों की गड्डियां निकालता रहा। अधिकारी होने की वजह से उसके लॉकर की जांच नहीं होती थी।

500 और 200 के नोटों की चोरी
मनोहर वर्मा पांच और दो सौ के नोटों की गड्डियां चोरी करता था। गड़बड़ नोटों की जहां चेकिंग होती थी, वहां से मौका मिलता ही गड्डियों को डस्टबिन में डालता था। इसके बाद डस्टबिन को लॉकर तक ले जाता था। लॉकर में ही चुपके से नोटों की गड्डियां रखता था। यह सब कुछ कई महीनों तक चलता रहा। मगर किसी को भी भनक नहीं लगी। 500 और 200 के ये नोट नए होते थे।

जूतों में भरकर ले जाता था गड्डियां
बैंक नोट प्रेस से निकलने वाले हर लोगों की तलाशी होती है। डेप्युटी कंट्रोलर होने की वजह से मनोहर वर्मा की चेकिंग नहीं होती थी। मनोहर वर्मा अपने ऑफिस में बैठकर बड़ी ही सावधानी के साथ हर दिन दो-तीन गड्डियां जूते में डाल लेता था। नोट की गड्डियां जूतों में होने की वजह से किसी की नजर नहीं पड़ती थी। इस तरह से बैंक नोट प्रेस से वह रुपये लेकर घर पहुंच जाता था।

सीआईएसएफ के जवानों ने पकड़ी चोरी
वर्मा जवानों पर निगाह रखता था। क्रॉसिंग के दौरान नोटों की गड्डियां वह डस्टबिन में फेंकता था। 18 जनवरी 2018 को ड्यूटी पर तैनात सीआईएसएफ जवान मनेंद्र सिंह और लिलेस्वर प्रसाद ने मनोहर को बार-बार बक्से कुछ डालता देखकर शक हुआ था। इसकी जानकारी उसने अपने अधिकारियों को दी। अधिकारियों ने गहनता के साथ सीसीटीवी वीडियो देखा तो मनोहर वर्मा की करतूत सामने आई।