जयपुर। राजस्थान के शाही अंदाज को बयान करने वाली ट्रेन पैलेस ऑन व्हील्स (Palace on Wheels) फिर शुरू होने वाली है। दरअसल राजस्थान पर्यटन विकास निगम (Rajasthan Tourism Development Corporation) के अध्यक्ष धमेन्द्र राठौड़ (Dharmendra Rathore) ने शाही ट्रेन ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ के जल्द शुरू होने की संभावना जताई है।
उनका कहना है कि कोरोना महामारी के कारण बन्द हुई शाही ट्रेन पैलेस ऑन व्हील्स (Palace on Wheels) को जल्द शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल (Indian Railways) और राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) की ओर से संचालित होने वाली यह ट्रेन को शुरू करने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को आरटीडीसी और रेलवे के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें रेलवे एवं आरटीडीसी के मध्य हुए एग्रीमेंट को रिव्यू करने, कमली घाट से मारवाड़ जंक्शन तक रेलवे के घाट सेक्शन में मीटर गेज ट्रेनी कोच के संचालन, ईको ट्रेन सफारी चलाने के तौर-तरीको सहित अन्य बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
यहां आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा को सामने रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही। इस दौरान राठौड़ ने मुख्यमंत्री की ओर से राज्य बजट में पर्यटन विकास कोष के लिए 1 हजार करोड़ रुपये मंजूर करने की बात भी याद दिलाई।
क्या अटक रहा है रोड़ा
आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के अनुसार कोरोना काल के चलते शाही ट्रेन 2 साल से बंद थी। वहीं रेलवे के अनुसार करीब 30 करोड़ की मूल राशि बकाया थी। एक दूसरी ट्रेन रेलवे को वापस दी गई थी, जिसकी वैल्यू 20 करोड़ थी। उसमें से 10 करोड़ भी आरटीडीसी की ओर से रेलवे को देने के बाद पैलेस ऑन व्हील्स के करीब 20 करोड़ बकाया है, जिसे किश्तों में देने को लेकर बात हुई है। राठौड़ ने कहा कि हमारी कोशिश है कि बकाया चुकाकर जल्द से जल्द फिर से पैलेस ऑन व्हील्स को शुरू किया जाएं।
क्या है पैलेस ऑन व्हील्स में खास
पैलेस ऑन व्हील्स भारत की पहली लग्जरी ट्रेन है। इसे 26 जनवरी 1982 को शुरू किया गया था। यह राजस्थान की सबसे नामी ट्रेन है जो दिल्ली से चलकर यात्रियों को राजस्थान के अलग-अलग किले और महलों वाले स्थान की सैर कराती है। इस ट्रेन में 39 डिलक्स केबिन और 2 सुपर डिलक्स केबिन हैं। इन डिलक्स केबिन में 82 यात्रियों को जगह दी जाती है. हर केबिन के साथ अटैच्ड वॉशरूम है। हर केबिन का नामकरण राजस्थान के महल और किले पर रखा गया है।