नयी दिल्ली। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने बृहस्पतिवार को देश के सोयाबीन आयात के आंकड़े को संशोधित कर चालू तेल वर्ष 2021-22 के लिए 3.50 लाख टन किया है। इससे पहले सोयाबीन का आयात चार लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया था। इस अनुमान में संशाधन का कारण सोयाबीन की कम पेराई और सोयाबीन खली का धीमा उठाव है।
तेल वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। देश ने तेल वर्ष 2020-21 के दौरान 5.48 लाख टन सोयाबीन का आयात किया था। एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, ‘‘मौजूदा बाजार परिदृश्य, कम पेराई और धीमे खल उठाव को देखते हुए, हमने पूरे साल के लिए होने वाली पेराई, सोयाबीन खली की स्थानीय मांग और सोयाबीन आयात अनुमानों को संशोधित किया है।’’
सोपा के अनुसार, इस वर्ष घरेलू सोयाबीन उत्पादन 118.89 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले तेल वर्ष 2020-21 में 104.55 लाख टन था। इस वर्ष सोयाबीन की कुल अनुमानित उपलब्धता 124.22 लाख टन में से 111.22 लाख टन चालू वर्ष के लिए पेराई के लिए उपलब्ध होगा, जो पिछले तेल वर्ष के 100.19 लाख टन से अधिक है।
फरवरी तक, आवक और पेराई दोनों साल पहले की अवधि की तुलना में कम रही है। यहां तक कि व्यापारियों और किसानों के पास एक मार्च तक 75.80 लाख टन सोयाबीन का भंडार था। एक साल पहले 54 लाख टन की तुलना में इस तेल वर्ष में फरवरी तक लगभग 34 लाख टन सोयाबीन की पेराई की गई थी।
सोपा के अनुसार, मौजूदा तेल वर्ष 2021-22 में सोयाबीन खली का उत्पादन घटकर 27.14 लाख टन रहने की संभावना है, जो पिछले वर्ष 43.10 लाख टन था। इसके परिणामस्वरूप सोयाबीन मील का आयात पिछले वर्ष के 0.03 लाख टन की तुलना में इस बार 4.40 लाख टन होने की संभावना है।