सहकारिता कृषि छोटे किसानों के जीवन में ला सकती है बड़ा बदलाव : राज्यपाल मिश्र

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कोटा। राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि सहकारिता कृषि छोटे किसानों के जीवन में बड़ा और सकारात्मक बदलाव ला सकती है। उन्होंने कहा कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में सहकारिता कृषि को व्यावहारिक बनाते हुए इसे बढ़ावा देने की दिशा में कृषि विश्वविद्यालयों को कार्य करना चाहिए।

राज्यपाल मिश्र कृषि विश्वविद्यालय, कोटा के पांचवे दीक्षान्त समारोह के अवसर पर शुक्रवार को यहां राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सहकारिता कृषि से खेती की लागत में कमी आने के साथ-साथ उत्पादन भी अधिक होता है, जिसका उचित मूल्य भी किसानों को प्राप्त हो पाता है।

कुलाधिपति ने कहा कि जमीन और पानी की कमी तथा कृषि उत्पादन के लागत मूल्य में बढ़ोतरी की चुनौती से निपटने के लिए इस दिशा में शोध और नवाचार को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसान हितैषी योजनाओं के साथ खेती के आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के प्रसार के क्षेत्र में कृषि विश्वविद्यालयों को प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए।

राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि अभी उपलब्ध जल का अधिकतम उपयोग खेतों में होता है। अन्य क्षेत्रों में जल की जरूरत को पूरा करने के लिए कृषि क्षेत्र में जल प्रबंधन को लेकर गंभीर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि भूजल रिचार्ज पर भी और तेजी से कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कृषि प्रबंधन में योग्य एवं तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं को तैयार करने पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

राज्यपाल ने छात्राओं को अधिक स्वर्ण पदक मिलने पर खुशी जताते हुए कहा कि यह कृषि शिक्षा में बेटियों के बढ़ते रुझान का संकेत है। उन्होंने फसलों की आठ नई उन्नत किस्मों एवं 38 नई तकनीकियों के विकास के लिए कृषि विश्वविद्यालय को बधाई दी।

कुलाधिपति ने कृषि, उद्यानिकी एवं वानिकी संकाय के योग्य पाए गए विद्यार्थियों को स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी की उपाधियां तथा स्वर्ण पदक प्रदान किए। समारोह आरम्भ होने पर राज्यपाल मिश्र ने उपस्थितजनों को संविधान की उद्देश्यिका एवं मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।

कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग मंत्री लालचन्द कटारिया ने कहा कि देश का करीब 10 प्रतिशत भूभाग और 6 प्रतिशत जनसंख्या राजस्थान में है, जबकि यहां मात्र एक प्रतिशत सतही जल ही उपलब्ध है। ऎसे में आधुनिक कृषि और नवाचारों के साथ पारम्परिक कृषि का समन्वय बनाए रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण सामने आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि क्षेत्र को तैयार करने की आवश्यकता है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के पूर्व महानिदेशक डॉ. लक्ष्मण सिंह राठौड़ ने कहा कि कृषि यांत्रिकीकरण (प्रौद्योगिकी) ने कृषि क्षेत्र में आए सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि मौसम और जलवायु विज्ञान में हुई तकनीकी प्रगति ने कृषि उत्पादन बढ़ने के साथ ही इसकी गुणवत्ता बढ़ाने में भी योगदान दिया है। कृषि विश्वविद्यालय, कोटा के कुलपति प्रो. डी.सी. जोशी ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, प्रसार एवं शोध गतिविधियों तथा विकास यात्रा का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।