नई दिल्ली। बीते सितंबर महीने में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 22.59 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल के इसी महीने में 2.96 अरब डॉलर था। वहीं, आयात और निर्यात में भी तेजी आई है। बहरहाल, आइए जान लेते हैं कि व्यापार घाटा बढ़ने के क्या मायने हैं।
क्या हैं इसके मायने: व्यापार घाटा बढ़ने का मतलब ये हुआ कि सितंबर महीने में भारत ने निर्यात के मुकाबले आयात ज्यादा किए हैं। यही वजह है कि व्यापार घाटा बढ़ गया है। लंबे समय तक व्यापार घाटा बढ़ते रहना, इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर नहीं होती है। इससे देश को विदेशी मुद्रा भंडार ज्यादा खर्च करना पड़ता है। दरअसल, निर्यात के जरिये विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है जबकि आयात की स्थिति में इसके उलट होता है। आयात में विदेशी मुद्रा भंडार खर्च होते हैं।
अचानक क्यों बढ़ा व्यापार घाटा: असल में, पिछले साल कोरोना की वजह से नियमों में सख्ती थी। इस वजह से कई वस्तुओं के आयात में गिरावट आई थी। अब जब देश कोरोना की चपेट से बाहर निकल रहा है और इकोनॉमी ट्रैक पर लौट रही है तो डिमांड एक बार फिर बढ़ गई है। घरेलू स्तर पर ज्यादा उत्पादन नहीं होने की वजह से आयात जरूरी हो जाता है।
आयात और निर्यात के आंकड़े: आधिकारिक आंकड़े के अनुसार सितंबर में वस्तु आयात 56.39 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले इसी अवधि की तुलना में 84.77 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, इंजीनियरिंग सामान और पेट्रोलियम उत्पादों जैसे प्रमुख क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से सितंबर में भारत का वस्तु निर्यात सालाना आधार पर 22.63 प्रतिशत बढ़कर 33.79 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।