नई दिल्ली। चालू वित्तीय साल में पेट्रोल और डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी के संग्रह में काफी जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है। चालू वित्तीय वर्ष में एक्साइज ड्यूटी का कलेक्शन 1 लाख करोड़ से अधिक का रहा है। वित्त मंत्रालय से मिले आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पेट्रोलियम उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी लगाने से चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में सरकार के संग्रह में 48 फीसद तक की बढ़ोतरी हुई है, जो कि पूरे वित्त वर्ष में पुराने तेल बांडों की चुकौती देयता का 3 गुना तक है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय में लेखा महानियंत्रक के उपलब्ध आंकड़ों से यह पता चलता है कि साल 2021 में अप्रैल से जुलाई महीने के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी का कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का हो गया है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपये तक था।
आपको बता दें कि, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की व्यवस्था लागू होने के बाद से, एक्साइज ड्यूटी केवल पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस पर लगाया जाता है। इन उत्पादों को छोड़कर,पूरे देश के अन्य सभी उत्पाद और सेवाएं जीएसटी के तहत आते हैं।
वित्तीय वर्ष 2021-22 (अप्रैल 2021 से मार्च 2022) के पहले चार महीनों में 32,492 करोड़ रुपये का एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन 10,000 करोड़ रुपये की देनदारी का तीन गुना तक है, जो सरकार के पास उन तेल बांडों के पुनर्भुगतान के लिए है जिसे कि पिछली सरकार ने ईंधन पर सब्सिडी देने के लिए जारी किया था।
इंडस्ट्री के सूत्रों ने इस पर बयान देते हुए कहा है कि “एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन का बड़ा हिस्सा पेट्रोल और डीजल पर लेवी से प्राप्त हुआ है और बिक्री में तेजी के साथ, चालू वर्ष में यह कलेक्शन पिछले वर्ष की तुलना में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का होने की संभावना है।”