नई दिल्ली। बैंकों और बीमा कंपनियों के पास लगभग 49,000 करोड़ रुपये उन खातों में पड़े हैं जिसका कोई लेनदार नहीं है। वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि पिछले वर्ष 31 दिसंबर तक बैंकों के पास यह रकम 24,356 करोड़ रुपये और बीमा कंपनियों के पास 24,586 करोड़ रुपये थी।
आरबीआइ ने वर्ष 2014 में डिपाजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनस फंड (डीईएएफ) स्कीम बनाई थी। बैंकों में जमा जिस रकम का कोई लेनदार नहीं होता है, उसे डीईएएफ को देना होता है। डीईएएफ इस रकम का उपयोग जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने में करता है।
दूसरी ओर, सभी इंश्योरेंस कंपनियां पॉलिसी होल्डर्स की ऐसी धनराशि को सीनियर सीटिजन वेलफेयर फंड में हर साल ट्रांसफर कर देती हैं, जिनका 10 साल से ज्यादा से समय से कोई लेनदार नहीं है। इस SCWF का इस्तेमाल वरिष्ठ नागरिकों के वेलफेयर को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
मंत्री ने साथ ही कहा कि RBI ने बैंकों को ऐसे खातों के अकाउंटहोल्डर्स के बारे में पता लगाने के लिए ज्यादा प्रभावी तरीके से कोशिश करने का परामर्श दिया है, जिनका लेनदार नहीं है।
सरकार ने मंगलवार को सूचित किया कि इस साल जून के आखिर तक PM Kisan Scheme के तहत 68.76 करोड़ ट्रांजैक्शन हो चुके हैं। इनमें से केवल एक फीसद ट्रांजैक्शन ही डॉरमैंट बैंक अकाउंट्स या अन्य वजहों से फेल हुए हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत सरकार पात्र किसानों को तीन बराबर किस्तों में कुल छह हजार रुपये की रकम हस्तांतरित करती है।
पीएम किसान स्कीम का एलान फरवरी, 2019 के बजट में किया गया था, जबकि इसे रेट्रोस्पेक्टिव तरीके से दिसंबर, 2018 से लागू किया गया था। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा को एक सवाल के लिखित उत्तर में बताया कि हर चार महीने में पात्र किसानों के खाते में 2,000-2,000 रुपये की किस्त ट्रांसफर की जाती है। इस तरह सालाना 6,000 रुपये किसानों के खातों में भेजे जाते हैं।