कोटा। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मायक्रोफायनांस एक अहम् भूमिका निभा रहा है। राजस्थान के कोटा जिले के नयागांव की रहनेवाली मनोहर बाई के उत्कर्ष की कहानी, उनके तथा उन जैसी कई आर्थिक रूप से दुर्बल महिलाओं के जीवन में माइक्रो क्रेडिट की अहमियत दर्शाती है, जिनकी बैंकिंग सेवाओं तक सीमित पहुंच थी।
मनोहर बाई के चार सदस्यों वाले परिवार में उनके पति तथा दो बच्चे हैं और परिवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। बच्चों को शिक्षा देने में असमर्थ था। परिवार की खस्ता हालत देख, उनके एक पडौसी ने फिनकेअर स्माल फाइनांस बैंक के जनसंपर्क अधिकारी से पहचान कराई। यह बैंक महिलाओ को मायक्रो क्रेडिट के तहत व्यवसाय के अवसर उपलब्ध कराने के साथ ही आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करता है। अधिकारी ने उन्हें ऋण योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
अपने पति से चर्चा करने के बाद वह 2019 में फिनकेअर स्माल फायनांस बैंक की सदस्य बनी और 26,000 रुपयों का अपना पहला कर्ज लिया। इस कर्ज से उन्होंने अपने पति की मदद से खुद का मिट्टी के बर्तन बनाने का कारोबार शुरू किया। उन्होंने एकसाथ मिलकर मिट्टी के बर्तनों के कई सारे डिजाईन बनाये। पूर्ण समर्पण और कड़ी मेहनत से उनका कारोबार बढ़ने लगा और आमदनी भी।
उनके मिट्टी के बर्तनों की बढती मांग को देखते हुए उन्होंने अपने कारोबार का विस्तार किया। कारोबार से होनेवाली आमदनी ने परिवार की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया. उनकी सालाना आय अब 1,20,000 रुपए तक पहुंच गयी है।
बैंक के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मनोहर बाई ने कहा, “ बैंक ने बहुत जरूरी वित्तीय सहायता देकर मेरे जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है । बैंक से वित्तीय सहायता मिलने से पहले मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरा अपना कारोबार होगा और एक अच्छी आमदनी भी होगी।