लॉकडाउन में सर्वाधिक प्रभावित कारोबारियों को राहत दिलाने का प्रयास होगा: बिरला

0
614

कोटा व्यापार महासंघ का स्पेशल पैकेज दिलाने का लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह

कोटा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कोरोना वायरस एवं लॉकडाउन से सभी व्यवसाय एवं रोजगार पर भारी दुष्प्रभाव पड़ा है। सरकार इसको लेकर गंभीर है। उन्होंने व्यापारियों एवं हॉस्टल व्यवसायियों की समस्याओं के लिए वित्त मंत्री से बात करने के बारे में बताया। उन्होंने आश्वासन दिया कि होटल ,रेस्टोरेंट, हॉस्टल, कैटरिंग, टूरिज्म, मेरीज गार्डन, टेन्ट,लाइट जिनको भारी नुकसान हुआ है और अभी भी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उन्हें स्पेशल राहत दिलवाने के पूरा प्रयास करेंगे।

इससे पहले कोरोना वायरस एवं लॉकडाउन से सर्वाधिक प्रभावित व्यापार को स्पेशल पैकेज दिलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष बिरला से आग्रह किया। महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन एवं महासचिव अशोक माहेश्वरी ने लोकसभा अध्यक्ष को बताया कि कोरोना वायरस एवं लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित होटल, रेस्टोरेंट ,हॉस्टल व्यवसाय, टूरिज्म ,कैटरिंग, लाइटिंग, मैरिज गार्डन व्यवसाय की पूरी तरह कमर तोड़ दी है। लाखों लोग इससे बेरोजगार हो गए हैं।

उन्होंने बताया कि आज भी यह व्यवसाय पूरी तरह से लॉकडाउन हैं । लाखों रुपए के कर्ज में डूबे इन व्यवसायियों को बैकं किस्त एवं ब्याज में छूट दी जाए। इन व्यवसायियों को बिजली के बिलों एवं अन्य राहत दी जाए जिससे इनको राहत मिल सके। महासचिव माहेश्वरी ने बताया कि पिछले 5 माह से हॉस्टल व्यवस्था पूरी तरह से लॉकडाउन है, जिससे शहर की अर्थ व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।

चम्बल हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष शुभम अग्रवाल, कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल, कोरल पार्क हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल, कोटा डिस्ट्रिक्ट सेंटर हॉस्टल एसोसिएशन के महासचिव अनिल अग्रवाल, नीरज वर्मा, न्यू कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक लोढ़ा ने संयुक्त ज्ञापन में कहा कि पिछले 5 माह से हॉस्टल व्यवसाय में पूरी तरह से तालाबंदी है। अगस्त माह से लोन कि किश्ते एवं ब्याज भरना है, जो वर्तमान परिस्थितियों में असंभव है।

उन्होंने आग्रह किया कि हमारे व्यवसाय को केंद्र सरकार स्पेशल पैकेज देवे एंव लोन किस्तों को शुरू करने की समय सीमा को 31 मार्च तक किया जाए। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि कोटा शहर में एक सितंबर से कोचिंग को चालू किया जाए, जिससे शहर की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सके।