नई दिल्ली। लॉकडाउन के कारण मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट और डीलर शोरूम बंद होने से जहां वाहन कंपनियों ने अप्रैल में घरेलू बाजार में कार और टू-व्हीलर्स की शून्य बिक्री दर्ज की, वहीं उसी महीने उर्वरक की बिक्री में साल-दर-साल आधार पर 45.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। उर्वरक विभाग के आंकड़ों में कहा गया है कि पूरे देश में न्यूट्र्रिएंट की बिक्री अप्रैल 2020 में 20.56 लाख टन रही। अप्रैल 2019 में यह बिक्री 14.17 लाख टन रही थी। अप्रैल 2018 में यह 12.96 लाख टन थी।
- यूरिया की बिक्री अप्रैल में साल-दर-साल आधार पर 36.2 फीसदी बढ़कर 10.95 लाख टन रही। अप्रैल 2019 में 8.04 लाख टन यूरिया बिका था।
- डाई-अमोनियम फॉस्फेट की बिक्री 71.7 फीसदी बढ़कर 2.97 लाख टन रही, जो एक साल पहले की समान अवधि में 1.73 लाख टन थी।
- नाइट्र्रोजन-फॉस्फोरस-पोटाश कंप्लेक्स फर्टिलाइजर्स की बिक्री 81.4 फीसदी बढ़कर 3.9 लाख टन रही, जो एक साल पहले की समान अवधिा में 2.15 लाख टन थी।
- पोटाश के म्यूरिएट की बिक्री 43 फीसदी बढ़कर 1.33 लाख टन रही, जो एक साल पहले की समान अवधि में 0.93 लाख टन थी।
- सिंगल सुपर फॉस्फेट की बिक्री 5.6 फीसदी बढ़कर 1.31 लाख टन रही, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 1.24 लाख टन थी।
- कंपोस्ट की बिक्री 37.5 फीसदी बढ़कर 0.11 लाख टन रही, जो एक साल पहले की समान अवधि में 0.08 लाख टन थी।
मानसून लंबा रहने से बढ़ी उर्वरक की बिक्री
गौरतलब है कि उर्वरक की बिक्री सिर्फ अप्रैल में ही 45.1 फीसदी नहीं उछली है। नवंबर 2019 से अब तक हर महीने उर्वरक की खुदरा बिक्री में दहाई अंकों में उछाल दर्ज किया गया है। उर्वरक उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि मानसून लंबा रहने से रबी (शीत-बसंत) सीजन काफी अच्छा रहा। जमीन के अंदर काफी पानी भर गया। जलाशय लगभग पूरे भर गए। इसके कारण किसानों ने फसलों की बोआई का रकबा बढ़ा दिया। अब वे मिट्टी की नमी का उपयोग खरीफ सत्र में भी करना चाहते हैं। इसी का असर अप्रैल की बिक्री में दिख रहा है।
लॉकडाउन में राहत मिलने से बढ़ी बिक्री
लॉकडाउन में भी उर्वरकों की बिक्री प्रभावित नहीं होने का एक कारण यह है कि कृषि सामग्रियों को छूट मिली हुई थी। अधिकारी ने आगे कहा कि जैसे खाद्य पदार्थों में पैनिक बाइंग हुई, वैसे ही खरीफ सत्र में मांग बढ़ने की संभावना से उर्वरक में भी बिक्री बढ़ गई। हम बिक्री के लिए 2-2.5 महीने की क्रेडिट पर आपूर्ति किया करते हैं। लेकिन इस बार दुकानदारों ने कैश में ही खरीदारी कर ली। उन्हें डर था कि रुपए के कमजोर होने से आयातित उर्वरकों व इनपुट की कीमत आने वाले महीनों में बढ़ जाएगी।
सभी प्रकार के उर्वरकों की बिक्री (लाख टन में)
महीना | 2018-19 | 2019-20 | बढ़ोतरी (%) |
अक्टूबर | 48.37 | 45.17 | -6.62 |
नवंबर | 63.26 | 73.84 | 16.72 |
दिसंबर | 70.86 | 87.08 | 22.89 |
जनवरी | 58.04 | 64.5 | 11.13 |
फरवरी | 30.39 | 46.61 | 53.37 |
मार्च | 24.6 | 28.96 | 17.72 |
अप्रैल | 14.17 (अप्रैल 19) | 20.56 (अप्रैल 20) | 45.1 |
स्रोत : उर्वरक विभाग