कोटा। शहर के कर्फ्यूग्रस्त इलाके में कर्फ्यू तोड़ औरतों और पुरुषों की भीड़ घरों से बाहर निकल आई। भीड़ देखकर पुलिस का अलग से जाब्ता बुलाना पड़ा। पुलिस बार-बार चेतावनी देती रही कि कर्फ्यू लगा हुआ है। आप अंदर जाओ, नहीं तो कार्रवाई होगी। इसके बावजूद भीड़ नहीं हटी। भीड़ कह रही थी उनके घर में खाने को कुछ नहीं है। इसलिए सड़क पर हैं।
राजकीय संस्कृत स्कूल से गढ़ पैलेस के बीच के हिस्से में रहने वाले लोगों को राशन नहीं मिलने से उनका रोष फूट पड़ा। इस इलाके में रहने वाले लोग गुरुवार को घरों से निकल आए और राशन की मांग करने लगे। पुलिस ने रोका तो उनकी पुलिसकर्मियों से बहस हो गई। इस क्षेत्र के निवासियों का कहना था कि छह अप्रैल से राशन की एक गाड़ी भी नहीं आई। सब्जी-दूध भी नहीं आ रहा। घर में दाल और अचार से रोटी खा रहे थे, अचार भी खत्म हो गया।
कई लोगों के घर में आटा-दाल भी खत्म होने वाले हैं। कम से कम सामान तो दिलवाओ। पुलिसकर्मियों ने कहा कि नीलकंठ महादेव मंदिर व टिप्टा में गाड़ियां आई थी। इस पर लोगों ने कहा कि वह इलाका दूर है, सूचना मिली तब तक सबकुछ खत्म हो गया था। पुलिसकर्मियों में मौजूद एक हैडकांस्टेबल ने सबको समझा और कैथूनीपोल थाने पर इस बात की सूचना दी। इसके बाद पुलिस ने आश्वस्त किया कि वहां राशन की गाड़ी उपलब्ध कराई जाएगी।
वहीं शहर में जिन क्षेत्रों को पहले कर्फ्यू और उसके बाद महा कर्फ्यू में तब्दील कर दिया गया है, उन क्षेत्रों में आवश्यक सामग्री के लिए भी लोगों को समस्या हो रही है। परकोटा क्षेत्र के लोगों का कहना है कि कई घरों में आटा, तेल, शक्कर, सब्जी, दालें, चायपत्ती इत्यादि सामान खत्म हो चुके हैं। प्रशासन की तरफ से जो व्यक्ति राशन सप्लाई कर रहे हैं। वह ऊपरी क्षेत्रों में ही राशन सामग्री सप्लाई कर लौट जाते हैं, जबकि चंबल नदी के किनारों पर रहने वाले लोगों, चश्मे की बावड़ी, अंसारियों की मोहल्ला, श्रीपुरा, कैथूनीपोल, साबरमती कॉलोनी आदि क्षेत्रों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
पेड़ राशन खरीदने के लिए पैसे भी नहीं बचे है। गुरुवार को चश्मे की बावड़ी में कई महिलाओं ने प्रशासन की अव्यवस्थाओं का विरोध जताया। महिलाओं का कहना था कि प्रशासन ने एक व्यक्ति को राशन सामग्री के लिए नियुक्त किया गया है। उसके द्वारा 890 रुपए का एक किट उपलब्ध करवाया जा रहा है। यह किट भी रोजाना 30 से 40 घरों तक ही पहुंच पाते हैं। बाकी अन्य घरों में यह नहीं पहुंच पाते। जबकि महाकर्फ्यू वाले क्षेत्रो में करीब 25 से 30 हजार लोग निवास करते हैं। ऐसे में एक व्यक्ति के भरोसे यह सप्लाई संभव होती नजर नहीं आ रही है।
जिला प्रशासन की ओर से पेड राशन सामग्री वितरण करने के लिए बीएलओ की ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन बीएलओ यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं कि राशन वाली गाड़ी आएगी, तभी हम आएंगे गाड़ी के बगैर हम राशन कहां से लाएं। घंटाघर निवासी असीम खान ने बताया कि प्रशासन की ओर से राशन, हरी सब्जियां और दूध की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है। तीनों सामानों की जितनी जरुरत उससे मात्र 10-20 प्रतिशत ही व्यवस्था हो रही है। वहीं शुक्रवार को भी लाडपुरा क्षेत्र में लोग घरों से बाहर निकल आए।