एक अप्रैल से 45 लाख रुपए तक के घर हो जाएंगे सस्ते

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नई दिल्ली।अप्रैल से जो हाउसिंग प्रोजेक्ट शुरू होंगे, उन पर जीएसटी की नई दरें लागू होंगी। 31 मार्च तक जो प्रोजेक्ट अधूरे रहेंगे, उनके डेवलपर नई या पुरानी व्यवस्था में से कोई भी चुन सकते हैं। इसके लिए जीएसटी काउंसिल ने मंगलवार को ट्रांजिशन प्लान को मंजूरी दे दी। काउंसिल ने 24 फरवरी को रियल एस्टेट के लिए जीएसटी रेट घटाने का फैसला किया था, लेकिन इसके साथ डेवलपर्स के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट खत्म कर दिया।

राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने जीएसटी काउंसिल की 34वीं बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डेवलपर्स को तय समय के भीतर नई या पुरानी व्यवस्था में से किसी एक को चुनना पड़ेगा। राज्यों के साथ बात करके इसकी समय सीमा तय की जाएगा। इसमें एक महीने का समय लग सकता है। सभी राजनीतिक दल आम चुनाव में व्यस्त हैं।

इसलिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई। सचिव ने कहा कि चुनाव पूरा होने तक काउंसिल की अगली बैठक होने की उम्मीद नहीं है। लेकिन जरूरत हुई तो चुनाव आयोग की सहमति लेकर बैठक की जा सकती है।

अभी अफोर्डेबल पर 8%, सामान्य घरों पर 12% टैक्स लगता है
पुरानी व्यवस्था: सामान्य श्रेणी के घरों पर 12% और अफोर्डेबल पर 8% जीएसटी लगेगा। सीमेंट-सरिया जैसी चीजों पर डेवलपर जो टैक्स चुकाएंगे, उसका इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा।
नई व्यवस्था: सामान्य श्रेणी के घरों पर 5% और अफोर्डेबल पर 1% जीएसटी लगेगा। लेकिन डेवलपर को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। घटी हुई दरें 1 अप्रैल से लागू होंगी।

45 लाख रुपए तक के घर अफोर्डेबल
महानगरों में कम से कम 60 वर्ग मीटर और दूसरे शहरों में 90 वर्ग मीटर कार्पेट एरिया वाले फ्लैट अफोर्डेबल कहलाएंगे। इनकी कीमत 45 लाख रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।