खिसक रहा है चुंबकीय उत्तरी ध्रुव, जानिए क्या होगा असर

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वॉशिंगटन। धरती का भौगोलिक नॉर्थ पोल तो फिक्स है लेकिन धरती पर दिशा दिखाने वाला मैग्ननेटिक नॉर्थ पोल (चुंबकीय उत्तरी ध्रुव) अपनी स्थिति बदल रहा है। मैग्नेटिक नॉर्थ पोल का डायरेक्शन उत्तर ध्रुव (कनाडाई आर्कटिक) से सालाना 55 किलोमीटर की दर से साइबेरिया की तरफ खिसक रहा है। मैग्नेटिक नॉर्थ पोल के जरिए कंपास पर दिशा दिखता है। इस बदलाव की वजह से जलमार्ग के जरिए यातायात में दिक्कत हो रही है।

पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव पिछले कुछ दशकों में इतनी तेजी से खिसक रहा है कि वैज्ञानिकों के पूर्व में लगाए गए अनुमान अब जलमार्ग के लिए सही नहीं बैठ रहे। सोमवार को वैज्ञानिकों ने एक अपडेट जारी किया कि ट्रू नॉर्थ असल में कहां था। यह अपडेट तय समय से करीब एक साल पहले जारी किया गया है।

इसके मुताबिक, चुंबकीय उत्तरी ध्रुव हर साल करीब 55 किलोमीटर खिसक रहा है। इसने 2017 में इंटरनैशनल डेट लाइन (आईडीएल) को पार कर लिया था और यह साइबेरिया की तरफ बढ़ते हुए फिलहाल कनाडाई आर्कटिक से आगे बढ़ रहा है।

कॉलाराडो यूनिवर्सिटी के भूभौतिकीविद और नए वर्ल्ड मैगनेटिक मॉडल के प्रमुख शोधकर्ता अर्नोड चुलियट ने बताया कि लगातार बदल रहे इसके स्थान की वजह से स्मार्टफोन और उपभोक्ता के इस्तेमाल वाले कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स के कंपासेज में समस्या आ रही है।

विमान एवं नौकाएं भी चुंबकीय उत्तरी धुव्र पर निर्भर रहती हैं खासकर शिपिंग में अतिरिक्त मदद के लिए। जीपीएस इसलिए प्रभावित नहीं हुआ है क्योंकि वह उपग्रह आधारित है। सेना नौवहन और पैराशूट उतारने के लिए इस बात पर निर्भर रहती है कि चुंबकीय उत्तर ध्रुव कहां है जबकि नासा, संघीय विमानन प्रशासन एवं अमेरिकी वन सेवा भी इसका इस्तेमाल करती है।

हवाईअड्डे के रनवे के नाम भी चुंबकीय उत्तरी धुव्र की तरफ उनकी दिशा पर आधारित होते हैं और ध्रुवों के घूमने पर उनके नाम भी बदल जाते हैं। मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के भूभौतिकीविद डेनियल लेथ्रोप ने बताया कि इसका कारण पृथ्वी के बाहरी कोर में हलचल है। ग्रह के कोर में लोहे और निकल का गर्म तरल महासागर है जहां हलचल से विद्युतीय क्षेत्र पैदा होता है। वहीं चुंबकीय दक्षिणी ध्रुव उत्तर के मुकाबले बहुत धीमी गति से खिसक रहा है।