मिसाल : एसएमएस, जयपुर में डॉक्टर्स ने जिस पैर को काटने की सलाह दी थी, कोटा मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजेश गोयल ने 17 निःशुल्क ऑपरेशन कर उसे बचा लिया।
-अरविंद
कोटा। सरकारी अस्पताल में जब डॉक्टर के मन में गरीब रोगी की अटूट सेवा करने का जज्बा हो तो डॉक्टर भगवान जैसा चमत्कार कर दिखाते हैं। मेडिकल कॉलेज, कोटा में वरिष्ठ हड्डीरोग विशेषज्ञ डॉ.राजेश गोयल ने 4 वर्ष पूर्व एक सड़क हादसे दोनों पैरों से अपाहिज ऑटोचालक दौलतराम को फिर से पैरों पर खड़ा कर दिखाया।
हादसे के बाद दौलतराम को एक कृत्रिम पैर तथा दूसरे क्षत-विक्षत पैर को सरकारी अस्पताल में 17 बार ऑपरेशन कर फिर से जोड़ दिया।
एमबीएस हॉस्पिटल में महावीर विकलांग समिति की अध्यक्ष प्रसन्ना भंडारी ने दो दिन पूर्व एक कृत्रिम पैर का सहारा देकर खड़ा होने में मदद की। समिति में सेवाएं दे रहे देवकीनंदन खुद दोनो हाथ से अपाहिज होकर अपने पैर से लिखते हैं, वे रोज दौलत को चलना सिखा रहे हैं। उसका कहना है कि वह खड़ा़ होने की उम्मीद छोड़ चुका था, लेकिन डॉ.गोयल ने उसका हौसला बढ़ाते हुए निरंतर इलाज जारी रखा।
सड़क हादसे में टूटे थे दोनों पैर
18 जून,2013 को ड्राइवर दौलतराम (50) अड़ीला से रणथम्भौर एक मैजिक में सवारियां लेकर जा रहे थे, रात्रि 12.30 बजे अचानक सामने से तेज आ रहे एक ट्रोले ने उसे टक्कर मार दी। जिससे उसका एक पैर कट गया तथा दूसरा भी ट्रोले से कुचला गया। उसे एमबीएस हॉस्पिटल में भर्ती कराने के बाद एसएमएस, जयपुर रैफर किया।
गंभीर हालात देख विशेषज्ञों ने दूसरा पैर भी कटवाने की सलाह दी। तब, कोटा के डॉ. राजेश गोयल ने उसे संभाला और निःशुल्क इलाज की जिम्मेदारी ली। नर्सिगकर्मी शशिकांत, स्नेहलता सहित 7 साथियों ने एक माह का वेतन तथा अलग-अलग ऑपरेशन में 20 यूनिट रक्त देकर उसकी मदद की।
डेरा स़च्चा सौदा ने की मदद
गरीबी से जूझ रहा दौलतराम बेघर होकर एक खाली मकान में रहने लगा। पत्नी सावित्री ने बताया कि डेरा स़च्चा सौदा की टीम उन्हें 4 वर्ष से हर माह राशन सामग्री की मदद कर रही है। शिक्षा विभाग अरनेठा, केपाटन के शिक्षक, रोहित मोदी एवं पत्थर व्यवसायी अशोक जैन सहित कई नागरिक उसे निरंतर आर्थिक संबल देते रहे।