जयपुर। देश के पश्चिमी भाग में अवस्थित एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक प्रान्त- राजस्थान में चालू रबी सीजन के दौरान विभिन्न फसलों की बिजाई का अभियान लगभग समाप्त होने के बाद जो परिदृश्य सामने आया है उससे संकेत मिलता है कि पिछले साल की तुलना में इस बार कुछ जिंसों के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है तो कुछ अन्य फसलों का रकबा घट गया है।
एक प्रगतिशील किसान श्रीपाल सारस्वत के अनुसार गत वर्ष की तुलना में चालू रबी सीजन के दौरान राजस्थान में सरसों का उत्पादन क्षेत्र घट गया क्योंकि कुछ क्षेत्रों में किसानों ने इसके बजाए ईसबगोल की खेती पर विशेष ध्यान दिया। ईसबगोल का रकबा बढ़ा है।
पिछले साल इसका भाव 14,000/15,000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रहा जबकि ऊंचे में यह 17,000/18,000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया।चूंकि अन्य फसलों की तुलना में ईसबगोल की खेती पर लागत खर्च काफी कम बैठता है और इसका बाजार मूल्य भी लाभप्रद स्तर पर चल रहा है इसलिए इसकी बिजाई में किसानों का उत्साह एवं आकर्षण बढ़ गया।
सारस्वत के अनुसार राजस्थान में इस बार जौ के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है क्योंकि पिछली फसल पर किसानों को अच्छी वापसी हासिल हुई थी। गेहूं का उत्पादन क्षेत्र लगभग सामान्य रहा है और चना की बिजाई कुछ बढ़ी है लेकिन इसमें इतनी बढ़ोत्तरी नहीं हो सकी जिसकी उम्मीद की जा रही थी। पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर- बाड़मेर क्षेत्र में बिजाई कम हुई मगर कोटा- कुछ लाइन में अच्छी खेती हुई है।
जीरा और धनिया की खेती के प्रति इस बार किसानों में कम उत्साह देखा गया जिससे इसके क्षेत्रफल में गिरावट आने के संकेत मिले हैं। राजस्थान इसके अग्रणी राज्यों में शामिल है जबकि सरसों एवं जौ का सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है। वहां गेहूं एवं चना का भी भारी उत्पादन होता है। मौसम की हालत रबी फसलों के लिए काफी हद तक अनुकूल बनी हुई है।