रिश्तों को बनाए रखने के लिए झुकना और सहन करना अनिवार्य: आदित्य सागर

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कोटा। आदित्य सागर मुनिराज ने मंगलवार को जैन मंदिर ऋद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में भव्य चातुर्मास के अवसर पर अपने नीति प्रवचन में कहा कि लाभ और हानि का गणित न केवल व्यापार में बल्कि रिश्तों में भी लागू होता है। बिना जोखिम उठाए मुनाफा संभव नहीं है, यह सिद्धांत ‘नो रिस्क, नो प्रॉफिट’ के रूप में उन्होंने श्रावको को समझाया।

जीवन में नफा और नुकसान दोनों का महत्व है। जो लोग जोखिम लेते हैं, वे अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। बिना जोखिम के कोई प्रगति नहीं होती। व्यापार और रिश्तों में, जोखिम लेना आवश्यक है, लेकिन समझदारी से। तकनीकी अध्ययन और मार्केट की समझ के साथ जोखिम लेना चाहिए। रिश्तों में नुकसान सहना पड़ता है, लेकिन इससे रिश्ते मजबूत होते हैं। सही तरीके से समर्पण और समझदारी से रिश्ते और व्यापार दोनों में सफल हो सकते हैं।

नुकसान सहने की शक्ति
गुरूदेव ने कहा कि जिसमें नुकसान सहने की शक्ति विकसित कर ली है, वही अधिक लाभ प्राप्त कर सकता है। व्यापार हो या रिश्ते, दोनों में नुकसान को स्वीकारना और उससे सीखना महत्वपूर्ण है। जोखिम लेने से शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ता है। जितना बड़ा नुकसान सह सकते हैं, उतनी ही बड़ी प्रगति कर सकते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से भी, जोखिम लेना और नुकसान सहना सफलता के लिए आवश्यक है।

व्यापार और व्यक्तिगत संबंध
व्यापार में वेस्टेज (क्षति) होती है, लेकिन सही प्रबंधन से इसे सहन करना होता है। रिश्तों में भी झुकना और समझौता करना पड़ता है। एक अच्छे व्यापारी या अच्छे रिश्तेदार को नुकसान सहना आना चाहिए। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का उदाहरण देकर बताया गया है कि कैसे वे अपने पिता के वचन के लिए राज्य त्याग कर चले गए। इसी तरह, अच्छे व्यापार और अच्छे रिश्तों के लिए नुकसान सहना और समझना आवश्यक है।

नफा और नुकसान, व्यापार और रिश्तों में जोखिम, और व्यक्तिगत विकास में समझदारी से काम लेना सफलता के लिए अनिवार्य है। नुकसान सहने की शक्ति और जोखिम लेने की हिम्मत से जीवन में प्रगति होती है। इस नीति को जीवन में उतारकर एक नया व्यक्तित्व विकसित किया जा सकता है। जो लोग केवल लाभ के लिए काम करते हैं और हानि से डरते हैं, वे न रिश्तों को बनाए रख सकते हैं और न ही व्यापार में सफलता पा सकते हैं।

मंच संचालन पारस कासलीवाल एवं संजय सांवला ने किया। इस अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज के सरंक्षक राजमल पाटोदी, कार्याध्यक्ष जे के जैन, मनोज जैसवाल, राजकुमार लु​हाडिया, पीयूष बज,अशोक पहाडिया चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज आदित्य, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, ऋद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, जिनेन्द्र जज साहब, पारस कासलीवाल, पारस लुहाड़िया, दीपक नान्ता, पीयूष बज, दीपांशु जैन, राजकुमार बाकलीवाल, जम्बू बज, महेंद्र गोधा, पदम बाकलीवाल, अशोक पापड़ीवाल सहित कई शहरों के श्रावक उपस्थित रहे।