जीरा के हाजिर एवं वायदा बाजार में फिलहाल तेजी आने की संभावना नहीं

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राजकोट। अत्यन्त ऊंचे बाजार भाव के कारण जीरा का निर्यात प्रदर्शन भी कमजोर देखा जा रहा है। जीरा के हाजिर एवं वायदा बाजार मूल्य में फिलहाल जोरदार तेजी आने की संभावना नहीं दिखती है।

देश के दोनों शीर्ष जीरा उत्पादक राज्यों- गुजरात एवं राजस्थान में चालू रबी सीजन के दौरान इस महत्वपूर्ण मसाला फसल की बिजाई में भारी इजाफा हुआ है। गुजरात में तो जीरा का क्षेत्रफल पिछले साल के 2.24 लाख हेक्टेयर से करीब 94 प्रतिशत उछलकर इस बार 4.34 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।

इसी तरह राजस्थान में जीरा का बिजाई क्षेत्र करीब 16 प्रतिशत बढ़कर 6 लाख हेक्टेयर से आगे निकल गया। आमतौर पर मौसम की हालत जीरा की फसल के लिए काफी हद तक अनुकूल बनी हुई है। यदि जनवरी-फरवरी में मौसम ठीक रहा तो जीरा के शानदार उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है।

ध्यान देने वाली बात है कि 2022-23 के सीजन में भी फरवरी 2023 तक फसल की हालत अच्छी थी लेकिन मार्च-अप्रैल में आंधी-तूफान के साथ मूसलाधार बेमौसमी का प्रकोप होने से फसल को नुकसान हुआ और इसका उत्पादन पिछले अनुमान की तुलना में घट गया। इसके फलस्वरूप सितम्बर तक आते-आते जीरा का घरेलू बाजार भाव उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।

जीरा का करीब 99 प्रतिशत उत्पादन गुजरात एवं राजस्थान में होता है। ज्ञात हो कि गुजरात की तुलना में राजस्थान में जीरा का बिजाई क्षेत्र ज्यादा रहता है मगर औसत उपज दर नीचे रहती है।

जीरे का कारोबार भी ज्यादातर गुजरात में ही होता है जहां ऊंझा इसका सबसे प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है। आपूर्ति का ऑफ सीजन होने से ऊंझा मंडी में जीरे की आवक घट गई है। वहां औसतन 2000-2500 बोरी जीरे की दैनिक आवक होने की सूचना मिल रही है।