4 साल में बनेगी रिफाइनरी, सबसे बड़ा 43 हजार करोड़ रु. का निवेश

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एमओयू के दौरान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सीएम राजे।

जयपुर । प्रदेश में चार साल के भीतर देश की सबसे अत्याधुनिक और बीएस-6 मानक की पहली रिफाइनरी बनकर तैयार हो जाएगी। बाड़मेर में रिफाइनरी लगाने के लिए अगले चार साल में 43,129 करोड़ रु. का निवेश होगा, यह प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा निवेश माना जा रहा है। इसके अलावा यह एचपीसीएल का भी अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है।

रिफाइनरी के लिए मंगलवार को राज्य सरकार और एचपीसीएल के बीच मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूदगी में करार हुआ। सीएम ने इसका शुभारंभ करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता दिया है। मानसून के बाद भूमि पूजन हो सकता है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर राज्य के लोगों के सपने को साकार करने का काम किया है। रिफाइनरी शुरू होने के बाद पश्चिमी राजस्थान में एक नए सुबह की शुरुआत होगी।

केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि पर्यावरण सहित अन्य स्वीकृतियों दिलाने के लिए राज्य और केंद्र स्तर पर सिंगल विंडो सिस्टम बनाया जाएगा। जिसे प्रत्येक 15 दिन के बाद राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय स्तर वे खुद इसकी मॉनिटरिंग करेंगे। उन्होंने कहा कि केयर्न इंडिया को 2030 तक बाड़मेर में क्रूड आयल निकालने की अनुमति दे दी गई है। केयर्न इंडिया की ओर से अगले चार साल में 27000 करोड़ रु. का निवेश किया जाएगा। प्रधान ने कहा कि इतना बड़ा निवेश आज तक राजस्थान के किसी भी क्षेत्र में नहीं हुआ होगा। इससे केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि सरकार को टैक्स के तौर पर बड़े पैमाने पर आय होगी।

उन्होंने केंद्रीय मंत्री से कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाए, जिससे रिफाइनरी में स्थानीय युवाओं को ही अधिक से अधिक प्राथमिकता दी जाए और बाहर से लोगों को लाे की जरूरत पड़े। एमओयू पर हस्ताक्षर प्रमुख सचिव पेट्रोलियम अपर्णा अरोड़ा और एचपीसीएल के रिफाइनरी निदेशक विनोद ने किए। उधर, गेल की ओर से तैयार कोटा के सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को आरएसजीएल को ट्रांसफर कर दिया गया। इसके लिए भी आरएसजीएल के एमडी रवि अग्रवाल और गेल के अफसरों के बीच एमओयू किया गया।

नए एमओयू से राज्य को 40 हजार करोड़ रुपए का फायदा होगा
कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में रिफाइनरी लगाने के लिए जो एमओयू किया था, उसके अनुसार राज्य सरकार को सालाना अगले 15 साल तक 3637 करोड़ रु. ब्याज मुक्त ऋण देना था। ऐसे में अगले 15 साल में 56 हजार करोड़ रु. देने पड़ते, लेकिन निगोशिएशन के बाद अब 1123 करोड़ में ही ब्याज मुक्त लोन देना पड़ेगा। इससे 40 हजार करोड़ रु. का सीधे तौर पर फायदा हो गया है। हालांकि एक प्रोसेसिंग यूनिट अलग से लगाए जाने के कारण रिफाइनरी और पेट्रो केमिकल काम्पलेक्स की लागत 37320 करोड़ से 43129 करोड़ हो जाएगी। केेंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाल किया कि आखिर किस आधार पर सालाना 3637 करोड़ रु. देने का एमओयू किया था। इससे राज्य को 40 हजार करोड़ रु. का नुकसान हो जाता। कीमत जनता को चुकानी पड़ती।

रिफाइनरी के वेस्ट मेटेरियल से 262 मेगावाट बिजली उत्पादन
रिफाइनरीसे निकलने वाले पेट काक वेस्ट मेटेरियल से 262 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इस बिजली का उपयोग रिफाइनरी चलाने के लिए किया जाएगा। रिफाइनरी लगते ही राज्य सरकार को सालाना वैट से 700 करोड़ रु. की अतिरिक्त आय होने लगेगी। राजस्थान से निकलने वाले क्रूड आयल का सेल प्वाइंट गुजरात में बनाया गया था, जिससे वहां की सरकार को 700 करोड़ रु. वैट मिल रहा था। इससे अभी तक लगभग राज्य सरकार को 6000 करोड़ रु. का नुकसान हो चुका है। खास यह था कि रिलायंस को 12 फीसदी कम रेट पर क्रूड आयल उपलब्ध हो रहा है। 

  • नए एमओयू से फायदा
  • रिफाइनरी एवं पेट्रो केमिकल उत्पादों से नए उद्योग विकसित होंगे
  • रिफाइनरी लगने से बाड़मेर और आसपास के जिलों का कायाकल्प होगा
  • 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा रिफाइनरी निर्माण के दौरान
  • 30 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा रिफाइनरी बनने के बाद प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से
  • 07 सौ करोड़ की सालाना आय क्रूड ऑयल से वैट के तौर पर